बुधवार, 9 जून 2021

दरिद्र योग (Daridra yoga) धनवान को भी भिखारी बना देता है

 

दरिद्र योग (Daridra yoga) धनवान को भी भिखारी बना देता है  


दरिद्र योग (Daridra yoga) , दरिद्र योग के उपाय



व्यक्ति के जन्म के साथ ही उसके जन्मकालीन ग्रह व्यक्ति के जीवन की सभी स्थितियों के साथ उसकी आर्थिक स्थिति , धन की स्थिति , आमदनी , आय के साधन को  निर्धारित कर देते है ।

 जब कुंडली में दरिद्र योग से सम्बंधित ग्रह दशा अन्तर्दशा मेंआते है तो धनवान को भी भिखारी बना देते है ।




कैसे बनता है कुंडली में दरिद्र योग 

Daridra yoga calculator


भारतीय ज्योतिष में द्वितीय भाव (2nd house) धन भाव माना गया है तथा गुरु (Jupiter) धन के कारक ग्रह होते है ।


जब कुंडली में द्वितीय भाव तथा द्वितीय भाव की राशि के स्वामी  (2 nd house lord)  तथा गुरु बृहस्पति 6 8 12 भाव में हों , या 6 8 12 भावों से सम्बंधित हों अथवा अशुभ ग्रह (राहु , केतु , शनि) से प्रभावित हों तो कुंडली में दरिद्र योग बनता है ।


कुंडली में दरिद्र योग होने पर व्यक्ति अपने अथक प्रयास के बाद भी धनार्जन नही कर पाता । हमेशा कोई ना कोई कारण से व्यक्ति को हानि उठानी पड़ती है ।





 कुंडली में दरिद्र योग का निर्माण तथा फल

     मेरा विचार ( My opinion ) 


भारतीय ज्योतिष में 2 6 10 11 भाव व्यक्ति की आमदनी , आय , धन तथा कार्य क्षेत्र के भाव होते है ।

कुंडली में  त्रिक भाव (6 8 12) भाव सम्मिलित रूप से जीवन में समस्याएं , अवरोध , अतिरिक्त व्यय , हानि को बताते है ।


जब कुंडली में अधिकांश ग्रह त्रिक भावों से सम्मिलित सम्बन्धित हों तो व्यक्ति के जीवन में आय , आमदनी की अपेक्षा समस्याएं , अवरोध , हानि , व्यय (खर्चा) बार बार परेशान करते है ।



आमदनी , आय के साधन सीमित अथवा कम होने तथा खर्चे , समस्याओं का बोझ बने रहने के कारण व्यक्ति दरिद्र होता चला जाता है ।


जातक की आमदनी का अधिकांश धन (आय का भाग) रोग ,अस्पताल , बीमारी , सर्जरी  ऋण या शत्रुओं के माध्यम से खर्च होता जाता है । 


जब इनके के साथ अशुभ ग्रह ( राहु , केतु , शनि) भी सम्मिलित हों जाते है तो  मुसीबतों की पराकाष्ठा आ जाती है ।

मुकदमे बाजी , कोर्ट केस , धन हानि , मुसीबतें , व्यवसाय में घाटा , जॉब छूटना , कार्यों में अवरोध ,प्रतिष्ठान बंद हो जाना , व्यवसाय में धोखे होना  जैसी समस्याएं उसके जीवन में हमेशा बनने लगे जाती है ।

तथा व्यक्ति दरिद्र होता चला जाता है ।


ध्यान रहे कोई भी जातक जन्म से दरिद्र नहीं होता उसके जन्मकालीन ग्रह समय के साथ उसे दरिद्र बनाते है 




 दरिद्र योग से बचने के उपाय ;-


चूंकि हम जन्मकालीन ग्रहों की स्थिति तथा परिणामों को नहीं बदल सकते पर कुछ विशेष उपायों के द्वारा समस्याओं को कम कर सकते है ।


1) सबसे पहले  कुंडली में उन सभी ग्रहों के उपाय करें जो समस्याएं अवरोध तथा अतिरिक्त व्यय करा रहे है ।


2) आय तथा आमदनी देने वाले ग्रहों को मजबूत किया जाना चाहिए ।


3) घर में पूजा स्थान पर लाल कपड़े के ऊपर श्री यंत्र की स्थापना करें तथा नित्य पूजा करें ।

4) घर में पूजा स्थान पर चांदी के लक्ष्मी गणेश स्थापित करे तथा उनका नित्य पूजन करे 


5) घर में उत्तर स्थान पर फाउंटेन लगाए तथा उत्तरी भाग खुला रखें । 


6) घर के उत्तर पश्चिम स्थान में बैठकर अपने कुलदेवता/ कुलदेवी की उपासना करें 


7) घर में मनीप्लांट दक्षिण पूर्व स्थान पर , तुलसी उत्तर पूर्व स्थान पर तथा बेम्बू ट्री घर के मुख्य द्वार के अंदर लगाए।


8) छोटे जरूरतमंद बच्चे / बच्चियों को पढ़ने की सामग्री दान / गिफ्ट करें 





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                      Aacharya Upendra Shekhar Bhatt                                           

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