सोमवार, 24 मई 2021

कुंडली में पुनर्विवाह योग || दो विवाह के योग : ज्योतिषीय विश्लेषण( second marriage in astrology)

 

कुंडली में पुनर्विवाह योग || दो विवाह के योग ज्योतिषीय विश्लेषण 

second marriage in astrology


पुनर्विवाह योग || दो विवाह के योग ज्योतिषीय विश्लेषण( second marriage in astrology)





परम्परागत ज्योतिष में पुनर्विवाह योग (दो विवाह के योग) के लिए निम्न स्थितियाँ जन्म कुंडली में बताई गई है :-


 सप्तम भाव , सप्तमेश अथवा  शुक्र जब पीड़ित होता है तो जातक के एक से अधिक विवाह होते है ।


   जन्म कुंडली के सप्तम भाव  पर पापी ग्रहों का प्रभाव जातक के एक से अधिक विवाह कराता है ।


   नवमांश कुण्डली का बली लग्नेश वक्री , स्व राशि या उच्च राशि मे केंद्र त्रिकोण में हो तो जातक के अनेक विवाह होते है ।


   द्वितीय भाव तथा सप्तम भाव में पापी ग्रहों की उपस्थिति , इनके स्वामियों के नीच राशि में होना या अस्त होना अथवा शुक्र का कमजोर होना अनेक विवाह कराता है ।


  सप्तमेश तथा शुक्र का चर तथा द्विस्वभाव राशियों में होना द्विभार्या योग / दूज वर योग बनाते है ।





 📍 पुनर्विवाह योग (दो विवाह के योग) आधुनिक विश्लेषण

मेरा विचार  (My opinion) :-



मेरा मानना है कि भारतीय हिन्दू समाज में विवाह एक पवित्र बन्धन माना गया है ।


भारतीय संस्कृति में विवाह एक स्त्री तथा पुरुष का परिवार बनाने तथा वंश वॄद्धि के लिए धार्मिक रीति रिवाज द्वारा तथा बड़ों से आशीर्वाद  लेकर अथवा भारतीय कानून व्यवस्था के नियमानुसार समम्मिलित रूप से स्वयं की इच्छा से साथ साथ जीवन यापन करना है ।


हिन्दू संस्कृति में एक स्त्री अथवा पुरूष द्वारा एक ही विवाह करने की  प्रथा मान्य है  जिसे कानूनन मान्यता प्रदान की गई है ।


मैनें अपने ज्योतिषीय अनुभव में पाया कि जब हम ज्योतिषीय योगों में  पुनर्विवाह योग (दो विवाह के योग) की बात करते है तो जातक की जन्म कुंडली में अथवा उसके जीवन में दो स्थितियाँ या योग कम से कम होना अत्यंत ही आवश्यक है ।



✔️ 1) जातक /जातिका का पहले जीवन साथी के साथ  तलाक होना चाहिए ।

 अथवा

 ✔️  2) जातक /जातिका के साथी में से किसी एक कि मृत्यु हो जाए ।


तभी कुंडली में पुनर्विवाह योग फलीभूत होता है तथा दूसरा साथी पुनर्विवाह कर सकता है 


मैनें अपने अनुभव में पाया कि यदि हम विवाहेत्तर सम्बन्धों , अवैध सम्बन्ध अथवा मल्टीपल रिलेशनशिप  की बात करें तो उनके लिए कुंडली में बिल्कुल अलग योग होते है 

उन्हें कभी भी पुनर्विवाह  नहीं माना जा सकता ।


क्यों कि विवाह भारतीय समाज में बहुत ही पवित्र सम्बन्ध माना गया है जिसे भारतीय कानून मान्यता प्रदान करता है ..

😊😊



आइये समझते है जन्म कुंडली में कौनसे योग पुनर्विवाह (दो पत्नी /पति के योग) बनाते है 




📍 जन्म कुंडली में  विवाह के योग तथा विवाह समय निर्धारण :-


जन्म कुंडली का सप्तम भाव विवाह का प्राथमिक घर है , द्वितीय भाव परिवार निर्माण , कुटुम्ब में वृद्धि को बताता है तथा एकादश भाव (11th house) सम्बन्धित भावों से प्राप्ति का घोतक है ।

जब विवाह योग्य आयु में अथवा जब जातक/जातिका विवाह करना चाहें तब कुंडली में 2  7 11 भावों का दशा अन्तर्दशा  में दोहराया जाना  व्यक्ति के विवाह के योग बनता है तब व्यक्ति का विवाह होता है ।




📍 कुंडली में तलाक (विवाह विच्छेद ) :-


जब कुंडली में दशा अन्तर्दशा में लगातार छटा भाव (6th house) तथा दशम भाव प्रबल रहते है तब विवाह विच्छेद (तलाक) होता है ।

दशम भाव आधिकारिक रूप से (officially) तलाक की पुष्टि का भाव है ।


ध्यान रहे पति /पत्नी का अलग रहना विवाह विच्छेद (तलाक)नहीं होता यहां अलगाव का योग बनता है तथा इसके कई कारण हो सकते है तलाक के योग अलगाव से बिल्कुल अलग  होते है ।




📍पति/पत्नी की मृत्यु का योग :-


चूंकि सीधे रूप से कभी भी पति/पत्नी की कुंडली में एक दूसरे की मृत्यु का योग कभी नहीं देखा जा सकता ।

क्यों कि व्यक्ति की आयु गणना सिर्फ स्वयं जातक की कुंडली से हो सकती है ।

 पति/पत्नी की एक दूसरे की कुंडली से नहीं ..


लेकिन ज्योतिष में एक दूसरे की कुंडली में पूर्णतः विवाह सुख की समाप्ति को देखा जा सकता है

विवाह सुख की समाप्ति में चतुर्थ भाव महत्त्वपूर्ण भूमिका में रहता है  क्यों कि यह सुख भाव है ।

वैवाहिक सुख के योगों में विशेष अलगाववादी  ग्रहों के साथ 4th house का संयोग बनना विवाह सुख की समाप्ति को बताता है ।



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💞 कब बनते है पुर्नरविवाह के योग (दो विवाह के योग) :-


पुनर्विवाह योग || दो विवाह के योग ज्योतिषीय विश्लेषण( second marriage in astrology)



जब व्यक्ति की कुंडली में विवाह विच्छेद (तलाक) के योग हों अथवा वैवाहिक सुख समाप्ति के योग हों  तथा उनकी आधिकारिक पुष्टि होने के पश्चात जन्म कुंडली में  दशा अन्तर्दशा में पुनः विवाह के योग बनें  अथवा विवाह के भाव (2 7 11 house) प्रबलता से विवाह के योग बनाएं तब दूसरा विवाह होता है ..



📍 निष्कर्ष :-


भारतीय समाज में एक पत्नी /पति के जीवित रहते अथवा पति पत्नी का बिना तलाक हुए  कभी भी दूसरा विवाह सामाजिक रूप से तथा कानूनन रूप से मान्य नहीं होता । 

अतः पुर्नविवाह योग या दो विवाह योग को कुंडली में देखने के लिए सभी स्थितियों का सूक्ष्मता से अवलोकन करना आवश्यक होता है 


🙏🙏





                     Aacharya Upendra Shekhar Bhatt                                           

                           Whatsapp No ::--  9414204610


"Works at  advanced  &  practical Astrology"

{हिन्दू वैदिक ज्योतिष , जैमिनी ज्योतिष , नाड़ी ज्योतिष और ताजिक system  ( वर्षफल पद्धति )



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