Mangal dosha (Manglik dosh)
mangal dosha (mangalik dosh )क्या होता है ?
बहुत ही सरल शब्दों में इसका उत्तर होगा कि जब जन्म कुंडली में मंगल के परिणाम समस्याप्रद हों , तकलीफदेह हों , अवरोधक हों या कष्टप्रद हों तो mangal dosha या manglik dosh माना जायेगा ।
हमारे समाज मे मंगल दोष को विवाह तथा वैवाहिक जीवन से जोड़ दिया गया है और ये भ्रांति युक्त धारणा बना दी गई है कि जन्म कुंडली मे मंगल का 1 4 7 8 12 भावों में मंगल का होना ही मंगल दोष है....
जब कि इससे ये कहाँ परिभाषित हुआ कि कुंडली के 1 4 7 8 12 भावों में मंगल के परिणाम वैवाहिक जीवन में समस्ययाप्रद ही होते है ..?
भारतीय ज्योतिषशास्त्र में मंगल- आत्मविश्वास ,बल , पराक्रम सहिष्णुता ,प्रोत्साहन , बुद्धि कौशल , तर्क ज्ञान ,नेतृत्व क्षमता , तीक्ष्ण बुद्धिमत्ता ,
🎈 और सबसे ऊपर सभी मांगलिक कार्यो का प्रतिनिधित्व करता है ..।
अब यदि मंगल इन सभी शुभ कर्मों का प्रतिनिधित्व करता है तो फिर विवाह और वैवाहिक जीवन में क्या मंगल हमेशा अपना विपरीत ही प्रभाव देता है ..?
नहीं बिल्कुल भी नहीं ...!!
फिर ये भ्रांतियां क्यो फैलाई जाती है ..?
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मांगलिक दोष सच या भ्रांति:- Click Here
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🍀 mangal dosha (manglik dosh)
जन्म कुंडली में मंगल यदि वैवाहिक जीवन में समस्याओं का कारण बनता है तो वह स्थिति मांगलिक दोष अथवा मंगल दोष कहलाती है ।
जब जन्म कुंडली में मंगल पीड़ित होकर तथा अल्पबली होकर अशुभ भावो के संयोगों में हो तो मंगल का प्रभाव नकारात्मक होगा ...
और जब नकारात्मक मंगल सप्तम भाव को प्रभावित करेगा तब ही mangl dosha अथवा manglik dosh निर्मित होगा ।
और जब तक ये दोनों स्थितियां सम्मिलित रूप से नहीं बनती तो manglik dosh नहीं होगा ..।
💕 mangal dosha , manglik dosh के वैवाहिक जीवन पर प्रभाव:-
आइये उन स्थितियो को समझते है जब मंगल वैवाहिक जीवन मे दोषयुक्त प्रभाव रखता है ...
🍁 जब जन्म कुंडली में मंगल किसी भी भाव में बैठकर सम्मिलित रूप से सप्तम अष्टम तथा द्वादश भाव से सम्बंधित है तो मंगल स्वभावतः आक्रामक की भूमिका में होता है ।
ये स्थिति वैवाहिक जीवन में लड़ाई झगड़े और तनाव का कारण बनती है तथा वैवाहिक सुख को क्षीण करती है।
🍁 जब कुंडली के तृतीय भाव मे बैठकर मंगल सप्तम अष्टम और द्वादश भाव से सम्मिलित सम्बन्ध बनाता है तो मंगल आक्रामक के साथ विध्वंसक भूमिका में होता है ,जो
वैवाहिक जीवन मे लड़ाई झगड़े के साथ मानसिक और , शारीरिक उत्पीड़न , का कारण भी बनता है ।
🍁 तृतीय भावस्थ मंगल और प्लूटो की युति का सम्बन्ध जब 7 8 12 भावो से भी हो तो मंगल जीवन मे विनाशकारी भूमिका में होता है ।
सामान्यतः ये संयोग डाकू , कातिल की कुंडली में मिलते हैं।
🍁 मंगल + शुक्र की युति यदि पंचम, अष्टम तथा द्वादश भाव से सम्मिलित सम्बंधित हो तो ही ये विवाहोत्तर सम्बन्धों को जन्म देती है अन्यथा नहीं..
🍁 मंगल के साथ राहु कुंडली के किसी भी भाव मे बैठकर 6 7 8 12 भावो से सम्मिलित सम्बन्ध बनाये तो तनाव ,लड़ाई झगड़े के साथ विवाह विच्छेद को जन्म देती है ..।
कुंडली का manglik होना बिल्कुल भी समस्या नहीं है। समस्या मंगल का दोषयुक्त होना है और दोषयुक्त मंगल कुंडली के किसी भी भाव स्थित होकर समस्याप्रद हो सकता है तथा वैवाहिक जीवन मे समस्या का कारण तभी बनेगा जब मंगल नकारात्मक प्रभाव के साथ सप्तम भाव को भी प्रभावित करें ...
अन्यथा बिल्कुल नहीं, कभी नहीं ....
जन्म कुंडली जीवन का स्कैन है ,जिसमें सभी छोटी से छोटी अच्छी तथा बुरी स्थितियों को देखा जा सकता है .......!!
ज्योतिष शास्त्र का सर्वोत्तम व्यवहारिक उपयोग यही है कि हम आज ..!
आने वाले कल के लिए जीवन का बेहतरीन प्रबन्धन (management) कर सकें ..........!!
aacharya upendra shekhar Bhatt
whatsapp No ::-- 9414204610
"works at advanced & practical Alastrology"
{हिन्दू वैदिक ज्योतिष , जैमिनी ज्योतिष , नाड़ी ज्योतिष और ताजिक system ( वर्षफल पद्धति )
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