नवमांश कुंडली महत्त्व तथा फलादेश (Navamsa Chart Analysis)
नवमांश कुंडली (Navamsa Chart )
नवमांश कुंडली ( navamsa chart )लग्न कुंडली के बाद देखी जाने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण वर्ग कुंडली होती है ।
नवमांश कुंडली (navamsa chart ) जन्म कुंडली के सप्तम भाव का विस्तृत रूप है ,जो सप्तम भाव से मिलने वाले सभी शुभ और अशुभ परिणामों को सूक्ष्मता से तथा विस्तृत रूप से विश्लेषित करती है ..।
नवमांश कुंडली (navamsa chart ) जन्म कुंडली के सप्तम भाव का विस्तृत रूप है ,जो सप्तम भाव से मिलने वाले सभी शुभ और अशुभ परिणामों को सूक्ष्मता से तथा विस्तृत रूप से विश्लेषित करती है ..।
नवमांश कुंडली (navamsa chart ) का महत्त्व :-
नवमांश कुंडली (navamsa chart) लग्न कुंडली के वास्तविक परिणामों का उदबोधन तो करती ही है साथ ही व्यक्ति के विवाह, दाम्पत्य सुख तथा सभी वैवाहिक स्थितियां के विषय में भी बताती है ।
नवमांश कुंडली (navamsa chart) का विश्लेषण हमारे व्यवसायी भागीदार , हमारी समस्त दैनिक आय , प्रत्यक्ष शत्रुता , हमारे सभी प्रतिद्वंदी के विषय में भी बताती है ..।
नवांश कुंडली (navamsa chart) के विश्लेषण से ही व्यक्ति के साथ होने वाली सभी प्रत्यक्ष अशुभ घटनाओं जैसे :- व्यवसाय में पार्टनर द्वारा धोखा देना , विवाह विच्छेद , प्रत्यक्ष हमला , डकैती , बलात्कार , मृत्यु को देखा जाता है ..।
नवमांश कुंडली विश्लेषण के नियम :- navamsa chart analysis
नवमांश कुंडली (navamsa chart) में कोई भी उच्च का ग्रह हमेशा शुभ परिणाम ही देता है चाहे जन्म कुंडली मे वह नींच राशिगत ही क्यों न हो..
नवमांश कुंडली (navamsa chart ) में नींच राशि मे बैठा ग्रह अशुभ परिणाम देगा चाहे वह लग्न कुंडली मे उच्च का ही क्यों न हो..।
वर्गोत्तम ग्रह (वह ग्रह जो लग्न कुंडली और नवमांश वर्ग कुंडली में एक ही राशि में स्थित हो) हमेशा लाभ देता है । ये नाम , प्रसिद्धि पदवी देगा चाहे वह नींच राशिगत ही क्यों न हो..।
नवांश में स्थिति अपनी राशि या उच्च राशि में बैठा ग्रह शुभ परिणाम देता है ..।
कोई ग्रह लग्न और नवांश दोनो वर्ग में त्रिकोण में स्थित है ,तो वह शुभ परिणाम देता है ..।
नवमांश कुंडली (navamsa chart) में वैवाहिक स्थिति जांचने के नियम :-
वैवाहिक जीवन के विषय मे नवांश वर्ग कुंडली सबसे अधिक उपयोगी होती है ..।नवांश वर्ग के स्वतंत्र विशेषण के द्वारा भी विवाह से सम्बंधित सभी स्थितियों को जांचा जा सकता है ..। :-
नवमांश कुंडली (navamsa chart ) में लग्न द्वितीय और सप्तम भाव और भावेश शुभ दृष्ट और सु स्थिति है तो जातक/ जातिका का विवाह भी समय पर होता है और वैवाहिक जीवन भी मधुर रहता है ।
लग्न कुंडली के लग्नेश और सप्तमेश यदि नवमांश वर्ग में 6 8 12 भावो में स्थिति होकर राहु केतु या शनि से पीड़ित हों तो विवाह में बाधा आती है अथवा विवाह नहीं होता ..।
नवमांश कुंडली (navamsa chart) में राजयोगों का होना धनिक और प्रतिष्ठित परिवार में विवाह होना बताता है ..।
नवमांश कुंडली (navamsa chart) के सप्तमेश और शुक्र यदि नवमांश में शुभ ग्रहों के साथ सु स्थित है तो ये विश्वास योग , आदर्श और सच्चा प्रेम करने वाला जीवन साथी देते है.।..
नवमांश वर्ग (navamsa chart) में लड़के की कुंडली में बली शुक्र और लड़की की कुंडली मे बली गुरु यदि शनि राहु केतु से सम्बंधित न हों तो जीवन साथी बेहद सुंदर होता है..।
नवमांश कुंडली (navamsa chart) में शुक्र तथा सप्तमेश का द्वितीय , तृतीय , पंचम , षष्टम , दशम और एकादश भाव में होना शुभ वैवाहिक जीवन के संकेत देता है
नवमांश कुंडली( navamsa chart) में पंचम सप्तम और द्वादश भाव का पीड़ित होना प्रेम , वैवाहिक रिश्तों में धोखे होने के संकेत देता है ...।
नवांश वर्ग (navamsa chart) में पीड़ित लग्नेश और सप्तमेश त्रिक भावों से भी सम्बन्धित हों तो वैवाहिक जीवन लम्बा नहीं चल पाता ...
● नवमांश कुंडली में प्रेम विवाह के योग :-
● जन्म समय संशोधन:-
जन्म कुंडली जीवन का स्कैन है ,जिसमें सभी अच्छे या बुरी स्थितियों को देखा जा सकता है .......!!
ज्योतिष शास्त्र का सर्वोत्तम व्यवहारिक उपयोग यही है कि हम आज ..!
आने वाले कल के लिए जीवन का बेहतरीन प्रबन्धन (management) कर सकें ..........!!
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