शश योग (sasa yoga ) कुंडली के विभिन्न केन्द्र भावों में बने शश योग के प्रभाव :-
sasa yoga ( शश योग ) जब कुंडली के केंद्र भाव ( 1 4 7 10) में शनि अपनी स्व राशि (मकर , कुम्भ) अथवा अपनी उच्च राशि ( तुला) में स्थित हो तो शश (sasa yoga) पंचमहापुरुष योग का निर्माण होता है
शश योग के प्रभाव :- sasa Mahayoga effects
भारतीय वैदिक ज्योतिष में सूर्य पुत्र शनि को कर्मफल डेटा तथा दंडनायक माना गया है
फलदीपिका के अनुसार कुंडली में शश योग होने पर व्यक्ति उच्च पदाधिकारी होता है , बहुत लोग उसके संरक्षण में कार्य करते है , शश योग युक्त जातक भूमिपति होता वह कई कई ग्रामो का मालिक होता है , सभी लोग इनकी प्रशंसा करते है , लेकिन इनका आचरण शुभ नही होता ये लोग अन्य लोगो की स्त्रियों में आसक्त रखते हैं. ( फलदीपिका )
शश (sasa yoga) महापुरुष योग जितना शुद्घ होगा शुभ ग्रहों तथा त्रिकोण एवं एकादश भाव से सम्बंधित होगा शनि के प्रभाव जातक को जीवन में उतने ही शुभ मिलेंगे ..
शश योग (sasa yoga) यदि त्रिक भावों के संयोग में है तथा त्रिक भावेशों से दृष्टि युति सम्बन्ध बनाता है तो शश योग के शुभ प्रभाव अपेक्षाकृत कम हो जाते है अथवा नष्ट भी हो सकते है ..
जन्म कुंडली के अलग अलग केंद्र भावों में बनें शश योग के प्रभाव:-
लग्न अथवा दशम स्थान में बना शश योग लग्नेश/ दशमेश के साथ साथ शुभ प्रभावों से युक्त है तो व्यक्ति laywer अथवा राजनेता बनाता है , जातक अपने शुभ कर्मों तथा कठिन मेहनत से उच्च पद को प्राप्त करता है , सभी दिशाओं में जातक की प्रशंसा होती है ।
चतुर्थ स्थान पर बना शश योग (sasa yoga) शुभ प्रभाव के साथ एकादश भाव से सम्बंधित होने पर जातक को भूमिपति बनाता है । व्यक्ति कई - कई सम्पतियां अपने जीवन में खरीदता है।
प्राचीन हवेलियां , पुश्तैनी जायदाद उसे मिलती है तथा अनेक खेत खलिहानों का मालिक होता है ।
चतुर्थ भाव में बना शश योग (sasa yoga) यदि त्रिकोण भावों से सम्बंधित हो तो ये अच्छी शिक्षा के साथ गणित तथा अनेक स्वदेशी तथा विदेशी भाषाओं में जातक को पारंगत बनाता है
सप्तम भाव में बना शश योग (sasa yoga) अधिकांशतः देरी से विवाह कराता है परंतु एक समझदार और उच्च गुणवान जीवनसाथी देता है ..।
चूंकि इनके वैवाहिक जीवन मे स्थिरता समय के साथ आती है ..
शश योग (sasa yoga) जातक को उच्च कोटि के गुण , मेहनती और कर्मठ बनाता है।
जन्म कुंडली में शनि द्वारा निर्मित शश योग (sasa yoga) पर अशुभ ग्रहों तथा अशुभ भावेशों के प्रभाव होने पर शश योग के प्रभाव क्षीण हो जाते है तथा बिल्कुल विपरीत भी हो सकते हैं।
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ज्योतिष शास्त्र का सर्वोत्तम व्यवहारिक उपयोग यही है कि हम आज ..! आने वाले कल के लिए जीवन का बेहतरीन प्रबन्धन (management) कर सकें ..........!!!
aacharya upendra shekhar bhatt
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