रविवार, 31 मई 2020

meri shadi kab hogi, कुंडली में विवाह योग तथा समय निर्धारण:-

   meri shadi kab hogi,  कुंडली में विवाह योग तथा समय निर्धारण


◆ कुंडली में वैवाहिक सुख तथा वैवाहिक स्थिति का निर्धारण

◆ कष्टप्रद वैवाहिक जीवन तथा अविवाहित रहने के योग
◆ विवाह का समय निर्धारण
◆ विवाह के सटीक समय के लिए आवश्यक गोचर


मेरी शादी कब होगी(meri shadi kab hogi) व्यक्ति  के  एक विशेष आयु प्राप्त करने के बाद सहज ही ये प्रश्न विवाह योग्य जातक/ जातिका  के मन में उठता है ..।

भारतीय समाज में विवाह एक संस्कार माना गया है ।
विवाह एक स्त्री तथा पुरुष के बीच आपसी सहमति से सामाजिक मान्यताओं का निर्वाह करते हुए परिवार के रूप में साथ रहना  है ..।

ज्योतिष की दृष्टि से विवाह के समय तथा समस्त वैवाहिक सुख को कुंडली विश्लेषण से देखा जा सकता है तथा सुखी वैवाहिक जीवन के लिए आवश्यक मार्गदर्शन भी दिया जा सकता है ...।




💕 विवाह सुख तथा समस्त वैवाहिक स्थिति को देखना:-
 मेरी शादी कब होगी (meri shadi kab hogi)

भारतीय वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली का सप्तम भाव विवाह का द्योतक है , शुक्र  विवाह का कारक ग्रह होता है।
अतः सभी वैवाहिक स्थितियों , वैवाहिक सुख , विवाह के समय को जानने के लिए सप्तम भाव , सप्तमेश तथा नैसर्गिक कारक ग्रह शुक्र के साथ नवमांश कुंडली का भी विश्लेषण करनाआवश्यक होता है ।



🍁 कष्टमय वैवाहिक जीवन अथवा अविवाहित रहने के योग :-


यदि जन्म कुंडली में सप्तम भाव , सप्तमेश तथा शुक्र पीड़ित , त्रिक भावों में स्थित हो तो वैवाहिक
जीवन कष्टमय होता है..।

यदि कुंडली में सप्तम , सप्तमेश, शुक्र पीड़ित होने के साथ नवमांश में भी अशुभ ग्रहों तथा अशुभ भावों में हों तो विवाह की सम्भावनाएं क्षीण होती है ..।
यदि इन सभी स्थितियो के साथ कुंडली में सप्तमेश तथा शुक्र यदि षड्बल में भी अल्पबली है ,तो विवाह नहीं होता ..।



🌹 विवाह का समय देखना ( Timing of marriage) :-

 मेरी शादी कब होगी (meri shadi kab hogi)

वैदिक ज्योतिष के नियमों के अनुसार  सर्वप्रथम वैवाहिक सुख को देखना आवश्यक होता है। उसके पश्चात ही विवाह के समय को देखा जाता है ...।

❣️ विवाह का समय निर्धारण  :-

मेरा शादी कब होगी ( meri shadi kab hogi)

निम्न ग्रहों अथवा भावेशों की दशा के साथ इन्हीं भावेशों / ग्रहों की अन्तर्दशाये सम्मिलित रूप से आती है ,तो विवाह का सम्भावित समय होता है ।

1)सप्तमेश की दशा या अंतरदशा
2)सप्तम से सप्तम लग्नेश की दशा या अंतरदशा
3)नवमांश कुंडली के लग्नेश की दशा- अंतरदशा
4)सप्तम भाव में स्थित ग्रहों की दशा- अंतरदशा
5) सप्तमेश से युत या दृष्ट ग्रह की दशा अंतरदशा
6)शुक्र अथवा राहु की दशा अंतरदशा
7)चन्द्रमा से सप्तमेश / सप्तम में स्थित ग्रहों की दशा- अन्तर्दशाये ।

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whatsapp no :- 9414204610"


💞 विवाह के सटीक समय के लिए आवश्यक गोचर:-

विवाह के सटीक समय जानने के लिए विवाह के लिए कुंडली में आवश्यक स्थितियां होने के साथ साथ विवाह के लिए सम्बन्धित दशा अंतरदशा भी होनी आवश्यक है उसके पश्चात ही गुरु तथा शनि का गोचर निम्न भावो अथवा भावेशों पर होना चाहिए ।


◆ गुरु शनि का गोचर लग्न अथवा लग्नेश पर होना चाहिए ।
                         अथवा
◆ सप्तम भाव अथवा सप्तमेश पर होना चाहिए।
                          अथवा
◆ चंद्र लग्न से सप्तम अथवा सप्तमेश पर होना चाहिए..।



                                 आचार्य उपेंद्र शेखर भट्ट
                                  9414204610

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