शुक्रवार, 29 मई 2020

हंस योग( hamsa yoga), hans yog benefits


हंस योग( hamsa yoga),  hans yog benefits
Hans yog benefits

 •  हंस योग क्या होता है ?
 •  हंस योग कैसे बनता है ?
 •  हंस योग के लाभ (Hans yoga             benefits):-    
 • विभिन्न केंद स्थानों में बने हंस योग के प्रभाव:-
•  हंस योग भंग:-



हंस योग ( Hans yog) Hamsa yoga


 हंस योग ( Hans yog) Hamsa yoga वैदिक ज्योतिष में एक महत्त्वपूर्ण योग माना जाता है।ये गुरु बृहस्पति द्वारा निर्मित एक पंच महापुरुष योग है ,इसके जन्म कुंडली में निर्मित होने पर बहुत ही शुभ प्रभाव जातक को मिलते हैं।



हंस योग ( Hans yog) Hamsa yoga

कुंडली में कैसे निर्मित होता है :-

जब जन्म कुंडली में गुरु केंद्र स्थान में अपनी स्व राशि (धनु या मींन) अथवा अपनी उच्च राशि कर्क में स्थित हो तो हंस योग ( Hamsa yoga)  का निर्माण होता है 



हंस योग ( Hans yog) Hamsa yoga के प्रभाव:-


हंस योग में उत्पन्न जातक तेज और लालिमायुक्त चेहरे वाला कुछ मांसल शरीर वाला , बुद्धिमान , ज्ञानी , धार्मिक , सद्गुणी , गंभीर वाणी वाला  होता है ।
हंस योग में उत्पन्न जातक भौतिक सुख की अपेक्षा आध्यात्मिक जीवन शैली को अधिक वरीयता देता है ।



हंस योग के लाभ (hans yoga benefits):-


लग्न में बने हंस योग( Hamsa yoga) के प्रभाव:-


लग्न में बना हंस योग (Hamsa yoga) व्यक्ति को प्रकाण्ड विद्वान , तेजस्वी , दीर्घायु , उच्च सन्तान सुख और धर्म परायण तथा अहंकारी बनाता है ..।
लग्न में बना हंस योग जातक को उत्तम स्वास्थ्य देता है ।
यदि जन्म कालीन ग्रह सशक्त हों तो जातक् राजनीति , चिकित्सा , प्रशासनिक सेवा में जाता है ..।



चतुर्थ स्थान में निर्मित हंस योग ( hamsa yoga) के प्रभाव:-

चतुर्थ भाव में बना हंस योग (Hamsa yoga) व्यक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रखता है। व्यक्ति अपने जीवन में पूर्ण सम्पत्ति तथा वाहन  सुख  , मातृ सुख एवं पितृ सुख प्राप्त करता है ।जातक पुश्तैनी सम्पत्ति , पुश्तैनी धन पाता है ।जातक आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यों में धन अधिक खर्च करता है ।
व्यक्ति कर्म क्षेत्र में हमेशा लाभ पाता है ।
व्यक्ति की प्रसिद्धि और नाम समय के साथ बढ़ता जाता है ।

चतुर्थ स्थान में बना हंस योग जातक के भाइयों के लिए हमेशा सुख और समृद्धिकारक होता है, लेकिन ये हंस योग उसके स्वयं के सन्तान सुख में बाधक होता है ।




सप्तम भाव में निर्मित हंस योग (Hamsa yoga) के प्रभाव:-

सप्तम भाव मे बना हंस योग( Hamsa yoga)  जातक को सुंदर और बुद्धिमान जीवन साथी देता है ।जातक का विवाह उच्च प्रतिष्टित परिवार में होता है जीवन साथी  कई कई मार्गों से धनार्जन करता है ..।
अधिकांशतः जातक व्यवसाय अपनाता है ..।

लेकिन सप्तम भाव में हंस योग वैवाहिक जीवन में हमेशा परेशानियां देता है ।
जीवन साथी से सामंजस्य में हमेशा कमी अथवा अभाव रहता है ।



दशम भाव में निर्मित हंस योग(Hamsa yoga) के प्रभाव:-

कुंडली के दशम भाव में बना हंस योग (Hamsa yoga) जातक को अपने स्वयं की मेहनत और प्रयासों से नाम , प्रसिद्धि और समाज मे उच्च स्थान दिलाता है। व्यक्ति सुकर्म करता है। अधिकांशतः उसकी आजीविका उस क्षेत्र से होती है जिसकी उसने शिक्षा अर्जित की है ..।

जातक के पिता से मधुर सम्बन्ध होते हैं।पिता की कमाई प्रतिष्ठा तथा विरासत को आगे बढ़ाता है।
 शत्रु इनके समक्ष झुकते है ...
ज्ञान और धन दोनों की देवी इन पर सदा कृपा बरसाती है ..।
 लेकिन इसके वैवाहिक जीवन मे कुछ अभाव हमेशा बना रहता है ..।



हंस योग भंग (Hamsa yoga cancel):-

चूंकि हंस योग के प्रभाव जातक के जीवन में बहुत ही शुभ होते हैं।
 परंतु जब कुंडली मे निर्मित  हंस योग का सम्बन्ध त्रिक भावों अथवा भावेशों से होता है तो इसके प्रभाव क्षीण हो जाते हैं।
स्वाभाविक अशुभ ग्रह ( राहु , केतु , शनि) का प्रभाव भी हंस योग( Hamsa yoga) के प्रभाव की नकारात्मक बना देता है ।

जब सम्मलित रूप से अशुभ ग्रह और त्रिक भाव का सम्बन्ध हंस योग से होता है ,तो कुंडली मे हंस योग अपना शुभत्व खो देता है तथा इसके सभी शुभ फल नष्ट हो जाते हैं।

                            आचार्य उपेंद्र शेखर भट्ट
                             9414204610

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