बुधवार, 14 अप्रैल 2021

नीचभंग राजयोग , neech bhang rajyog (neech bhang rajyog calculator)

 


⭕ नीचभंग राजयोग (neech bhang rajyog) neech bhang rajyog calculator



  ⭕ कैसे बनता है कुंडली में नीचभंग राजयोग  -

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नीचभंग राजयोग (neech bhang rajyog) neech bhang rajyog calculator


भारतीय ज्योतिष का मुख्य सूत्र है कि जन्म कुंडली में कोई भी ग्रह अपनी नीच राशि में स्थित होकर बलहीन  हो जाता है तथा अपने प्रभाव तथा परिणाम अशुभता के साथ देता है ..


परन्तु अपनी कुछ विशेष स्थितियों में तथा अन्य ग्रहों विशेष के प्रभाव से अथवा अन्य ग्रहों से युति तथा दृष्टि सम्बन्ध स्थापित करने से उसका नीचभंग हो जाता है तथा वह ग्रह अपने परिणाम शुभता के साथ देता है..


आइये जानते है वे कौनसी स्थितियाँ होती है जब किसी ग्रह का कुंडली में नीच भंग हो जाता है तथा नीच राशि में स्थित होकर भी कोई भी ग्रह अत्यंत शुभ फलदाई होता है ..



⭕ नीचभंग राजयोग के नियम:-


📍 (1)  यदि जन्म कुंडली में नीच राशि ने स्थिति ग्रह चन्द्रमा अथवा लग्न से केंद्र भावों में (1 4 7 10 भावों) स्थित है तो उस ग्रह का नीचभंग हो जाता है तथा कुंडली में नीचभंग राजयोग निर्मित होता है ..


📍(2)  कुंडली में नीच राशि में स्थित ग्रह की राशि का स्वामी ग्रह यदि लग्न से अथवा चन्द्रमा से केन्द्र स्थान (1 4 7 10 भाव)में स्थित हो तब उस नीच राशि में स्थित ग्रह का नीचभंग हो जाता है तथा कुंडली में नीचभंग राजयोग बनता है..

उधाहरण:- यही जन्म कुंडली में सूर्य अपनी नीच राशि तुला में स्थित हो परन्तु तुला  राशि का  स्वामी शुक्र अपनी नीच राशि के अतिरिक्त किसी भी राशि में स्थित होकर  लग्न या चन्द्र से केन्द्र स्थान ( 1 4 7 10 भाव)में बैठे तो सूर्य का नीचभंग हो जाएगा तथा जन्म कुंडली में नीचभंग राजयोग बन जाएगा ..



📍 (3)  कुंडली मे जिस राशि में कोई भी ग्रह नीच का बैठा होता है जब उस नीच राशि में बैठे ग्रह के राशि के स्वामी की उससे युति बन जाये अथवा उसकी दृष्टि उस नीच राशिष ग्रह पर पड़ जाए तो उस नीच ग्रह का नीचभंग हो जाता है तथा कुंडली में नीचभंग राजयोग बनेगा.

उदाहरण ;- कुंडली में गुरु अपनी नीच राशि मकर में स्थित हो तथा मकर राशि का स्वामी शनि यदि गुरु के साथ ही मकर राशि में युति करले अथवा अपनी राशि मकर पर अपनी पूर्ण दृष्टि डाले तो गुरु का नीचभंग हो जाएगा तथा कुंडली में नीचभंग राजयोग का निर्माण होगा.. 



📍(4)  जन्म कुंडली में नीच राशि में  बैठे ग्रह के साथ जब उस राशी में उच्च होने वाला ग्रह  नीच राशिगत ग्रह से युति करे तो उस नीच राशि में स्थित ग्रह का नीचभंग हो जाएगा तथा कुंडली में नीचभंग राजयोग का निर्माण होगा..

उदाहरण:-  यदि जन्मकुंडली में मंगल अपनी नीच राशि कर्क में स्थित हो तथा कर्क में उच्चता प्राप्त करने वाला ग्रह गुरु मंगल के साथ युति करे तो कुंडली में नीचभंग राजयोग बनेगा..



📍(5) जन्म कुंडली में दो ग्रह अपनी नीच राशि में बैठकर एक दूसरे को पूर्ण दृष्टि से देखे तो दोनों नीच राशि में बैठे ग्रहों का नीच भंग होगा तथा कुंडली में नीचभंग राजयोग बनेगा..

उदाहरण:- यदि मंगल अपनी नीच राशि कर्क में स्थित हो तथा गुरु अपनी नीच राशि मकर में बैठा हो तथा मंगल की सप्तम दृष्टि गुरु पर तथा गुरु की सप्तम दृष्टि मंगल पर होगी अतः मंगल तथा गुरु दोनों का नीचभंग हो जाएगा और कुंडली में नीचभंग राजयोग का निर्माण होगा...



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⭕ नीचभंग राजयोग के फल (लाभ)


परम्परागत ज्योतिष में ये मान्यता है कि कुंडली में अपनी नीच राशि में बैठा ग्रह बलहीन होने के कारण अशुभ फलदाई होता है परन्तु जब उस ग्रह का नीचभंग हो जाता है तब उस ग्रह के शुभ प्रभवों में बढ़ोत्तरी हो जाती है तथा उसके परिणाम शुभता लिए होते है ..


यदि कुंडली में कोई भी दो या अधिक स्थितियों से नीचभंग राजयोग बनता है तो उस नीच ग्रह के परिणाम अपेक्षाकृत पूर्ण शुभ फलदाई हो जाते है 


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⭕ नीचभंग राजयोग निर्मित ग्रहों के फल 


1. सूर्य :- जब कुंडली में सूर्य का नीच भंग होकर नीचभंग राजयोग बनता है तो व्यक्ति को सरकार से  लाभ प्राप्त होता है , जातक  पिता से सहयोग तथा अपने कार्य क्षेत्र में प्रतिष्टित लोगों के सहयोग से आगे बढ़ता है ..


2.चन्द्रमा :- चन्द्रमा के नीचभंग राजयोग से जातक को भूमि , माता  से लाभ होता है , व्यक्ति मानसिक रुप से सशक्त , दृढ़ इच्छाशक्ति वाला , मजबूत निर्णय क्षमता वाला होता है ..


3. बुध :- बुध के नीच भंग से बना नीचभंग राजयोग जातक को व्यवसाय तथा कार्यक्षेत्र में अपने कौशल से आगे बढ़ने में सहयोग करता है 

उसे विश्वास योग मित्र तथा सहयोगी मिलते है जो उसकी मदद करते है..


4. मंगल:- मंगल से बना नीचभंग राजयोग जातक को ऊर्जावान , कर्मठ बनाता है जातक को सम्पत्ति प्राप्त होती है । उसके भाई तथा मित्र उसे आगे बढ़ने में मदद करते है .. 


5. शुक्र :- शुक्र से बना नीचभंग राजयोग व्यक्ति को ख्याति दिलाता है उसे पूर्ण वैवाहिक सुख तथा सन्तान सुख मिलता है । व्यक्ति को महिला सहयोगी से हमेशा लाभ प्राप्त होता है जातक अपनी कला तथा कौशल से धनार्जन करता है...


6. बृहस्पति;- बृहस्पति से बना नीचभंग राजयोग व्यक्ति को शिक्षा में सफलता , सन्तान सुख तथा अपने ज्ञान से प्रसिद्धि तथा धन दिलाता है ...


7. शनि:- शनि के नीच भंग से बना नीचभंग राजयोग जातक को नेतृत्व क्षमता देता है , वह अपनी मेहनत , कार्यकुशलता तथा लगन से धन , मान प्रतिष्ठा प्राप्त करता है...




⭕ निष्कर्ष:-


चूंकि परम्परागत वैदिक ज्योतिष में नीचभंग राजयोग को अन्य राजयोगों के समान शुभ योग माना गया है


परन्तु यदि जन्म कुंडली में कोई भी ग्रह अपनी नीच राशि में स्थित होकर नीच भंग नहीं होने पर भी  हमेशा ही वह ग्रह बलहीन नहीं हो जाता तथा अशुभ फल नहीं देता...


क्यों कि कुंडली में किसी भी ग्रह के बल का निर्धारण ग्रह को छह विभिन्न स्रोतों से मिलने वाले षड्बल से होता है सिर्फ एक स्थिति के आधार पर उस ग्रह को बलहीन नहीं माना जा सकता..



  Aacharya  Upendra Shekhar Bhatt        

 Whatsapp No - 9414204610


     Works at  advanced  &  practical Astrology"

      (हिन्दू वैदिक ज्योतिष , नाड़ी ज्योतिष ,जैमिनी     ज्योतिष ,ताजिक पद्धति )





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