तलाक के योग || विवाह भंग के ज्योतिषीय कारण (divorce yog in kundli)
भारतीय संस्कृति में सोलह संस्कारों में विवाह संस्कार सबसे महत्त्वपूर्ण संस्कार माना गया है ।
हिन्दू धर्म में विवाह को जहां सात वचनों से जोड़ा गया है वही सात जन्मों तक पति पत्नी को एक ही पवित्र बन्धन में बंधकर जीवन जीने की बात भी कही गई है ।
परन्तु बहुत सारे कारणों से बहुत लोगों का वैवाहिक जीवन आगे चल नहीं पाता तथा विवाह के कुछ समय पश्चात ही विवाह भंग (तलाक )की स्थितियाँ आ जाती हैं ।
ध्यान रखने की बात ये है कि जीवन में वैवाहिक जीवन में अलगाव (पति पत्नी का अलग रहना) दूसरी बात है तथा संवैधानिक रूप से विवाह भंग (तलाक होना) बिल्कुल अलग बात है ।
आइये आज बहुत ही सूक्ष्मता से वैदिक ज्योतिष के दृष्टिकोण से समझते है कि
कुंडली में तलाक के योग ( विवाह भंग के योग) कब बनते है ?
तथा कुंडली में तलाक के क्या क्या कारण कैसे देखे जाते है ?
⭕ भारतीय वैदिक ज्योतिष में तलाक के योग निन्म लिखित बताये गए हैं :-
जब कुंडली के सातवें भाव में अशुभ ग्रह हों तथा सप्तमेष तथा शुक्र पीड़ित हो तो तलाक के योग बनते हैं ।
कुंडली में सप्तमेश(7th lord) द्वादश भाव(12 th house) में राहु से युति करे तो वैवाहिक जीवन मे अलगाव योग बनते हैं ।
यदि लग्न कुंडली में सूर्य, राहु, केतु अथवा शनि में से कोई भी दो ग्रह सप्तम भाव में स्थित हों तो तलाक के योग बनते है ।
कुंडली में सप्तमेश (7th lord)और बाहरवें भाव का स्वामी(12th lord) एक साथ दशम भाव में हो तो तलाक हो सकता है ।
कुंडली में सप्तमेश (7th lord) अस्त , नींच , वक्री हो तथा सप्तम भाव मे अशुभ ग्रह हो तो तलाक के योग बनते है ।
नवमांश कुंडली का लग्न लग्नेश तथा सप्तम भाव पीड़ित होकर नवमांश कुंडली में ही त्रिक भावोँ में स्थित हो तथा लग्न में अलगाववादी ग्रह हों तो विवाह भंग होता है ।
लग्न कुंडली का सप्तमेश तथा शुक्र नवांश कुंडली मे त्रिक भावों में राहु केतु , सूर्य , शनि के साथ स्थित हों तो विवाह भंग के योग बनते है ।
यदि कुंडली में सप्तमेश ( 7th lord) त्रिक भावों में हो तथा शुक्र भी अस्त या पीड़ित हो तो विवाह भंग होता है ।
यदि कुंडली में सप्तम भाव में त्रिक भावेश (6 8 12 lord) स्थित हों तथा सप्तम भाव का स्वामी और शुक्र भी पीड़ित हों तो तलाक के योग बनते है ।
कुंडली का चतुर्थ भाव , सप्तम भाव तथा शुक्र का पीड़ित होना वैवाहिक सुख को नष्ट करता है ।
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⭕ मेरा अनुभव तथा विचार (My opinion)
👉 निन्म सभी योग वैवाहिक समस्या , कष्टपूर्ण वैवाहिक जीवन अथवा वैवाहिक जीवन में तालमेल के अभाव की पुष्टि तो करते है पर तलाक अथवा विवाह भंग की पुष्टि (confirmation) नहीं करते ...
मेरा अनुभव है कि वैदिक दृष्टिकोण से तलाक के योग (विवाह भंग) में द्वितीय तथा सप्तम भाव दोनों ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते है ।
क्यों कि द्वितीय भाव परिवार का कुटुम्ब का भाव है तथा सप्तम विवाह तथा वैवाहिक जीवन का ।
⭕ कुंडली मे तलाक के योग
वैदिक ज्योतिष के नियम के अनुसार जब जन्म कुंडली में द्वितीय भाव तथा सप्तम भाव अलगाववादी ग्रहों (राहु , केतु , शनि , सूर्य ) से पीड़ित हो तथा सप्तमेश तथा शुक्र छटे अथवा द्वादश भाव में (6 12 भाव में ) अलगाववादी ग्रह के साथ हो तब तलाक के योग बनते है ।
यदि इन स्थितियों के साथ नवमांश कुंडली में नवमांश का लग्न भी पीड़ित है तथा लग्न कुंडली का सप्तमेश भी नवांश कुंडली में पीड़ित है तो निश्चित विवाह भंग होता है ।
विशेष योग :- तलाक के लिए न्यायालय में केस चलने के समय तलाक के योगों के साथ दशम भाव का दशा अन्तर्दशा में आना आधिकारिक रूप से तलाक की पुष्टि करता है ।
⭕ निष्कर्ष :-
कई बार जन्म कुंडली मे तलाक तथा विवाह के योग साथ होते है तो तलाक नहीं होता लेकिन अलगाव अथवा मतभेद रहते है तथा वैवाहिक जीवन कुछ सममस्याओं के साथ चलता रहता है ।
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