मंगलवार, 1 जून 2021

ज्योतिष में मानसिक रोग किस ग्रह के कारण होता है || ज्योतिष में मानसिक रोग

 

ज्योतिष में मानसिक रोग के कारक ग्रह और भाव || depression in astrology



  ज्योतिष में मानसिक रोग के कारक ग्रह और भाव || depression in astrology




भारतीय ज्योतिष में मानसिक रोग का प्रथम विचार चन्द्रमा से किया जाता है । क्यों कि चन्द्रमा व्यक्ति के मन , विचार तथा भावनाओं  का प्रतिनिधित्व करता है । 

मानसिक रोग का द्वितीय कारक ग्रह बुध है क्यों कि बुध बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है ।

सभी मानसिक रोगों का सम्बन्ध व्यक्ति के मन तथ बुद्धि से होता है ।


वैदिक ज्योतिष में प्रथम भाव व्यक्ति के मस्तिष्क , दिमाग तथा सर का भाव है तथा प्रथम भाव का कारक सूर्य है ।


जब कुंडली में प्रथम भाव चन्द्रमा बुध अशुभ ग्रहों से प्रभावित हों तो व्यक्ति मानसिक रोग का शिकार होता है ।


आइये  विस्तार तथा सूक्ष्मता से व्यवहारिक रूप से ज्योतिष की दृष्टि से समझते है कि कुंडली में कौनसे ग्रह तथा भाव मानसिक रोग को बताते है ।




 ज्योतिष में मानसिक रोग के कारण आधुनिक विश्लेषण तथा  मेरा अनुभव (My opinion )



✔️ मेरा अनुभव तथा विचार (My opinion )


मानसिक रोग :- व्यक्ति की मनोवृत्ति तथा मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धित ऐसे विकार जो व्यक्ति की मनोदशा, सोच और व्यवहार को प्रभावित करते है मानसिक रोग कहलाते है ।




 कुंडली में मानसिक रोग के भाव :-


📍 प्रथम भाव :- ज्योतिष में प्रथम भाव स्वयं (self) का भाव है ये व्यक्ति के स्वास्थ्य , शारीरिक क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है ।

रोग ज्योतिष ( Medical astrology) में प्रथम भाव कालपुरुष के सिर (मस्तक) से सम्बंधित बीमारियों भी प्रदर्शित करता है ।


📍 छठा भाव :- medical astrology  में कुंडली का छठा भाव  बीमारी तथा रोग का भाव है ।

यह भाव साध्य रोग का सूचक है । मानसिक रोगों में ये उन बीमारियों को बताता है जिन्हें उपचार (treatment) के बाद सही किया जा सकता है ।


📍 अष्टम भाव :- कुंडली का अष्टम भाव  दीर्घकालीन मानसिक बीमारियों को बताता है । यह भाव स्थायी मानसिक रोग , जीर्ण रोग तथा सर्जरी को बताता है ।


📍 द्वादश भाव :- 12 th house , इलाज के लिए अस्पताल  जाना , डॉक्टर से परामर्श लेना , बीमारी में  बिस्तर  पर होना तथा उपचार के लिए किए गए खर्चे का है 





 कुंडली में मानसिक रोग के कारक ग्रह :-


कुंडली में मानसिक रोग के कारक् ग्रह मुख्य रूप से  राहु , केतु तथा शनि होते है ।


 राहु केतु शनि ज्योतिष में अशुभ ग्रह माने गए है  ये सभी ग्रह रोग भावों के साथ साथ अलग अलग ग्रहों से सम्बंधित होकर व्यक्ति में  मानसिक रूप से तनाव , अवसाद , डर , चिंता , पैदा करते तथा अन्य मानसिक बीमारियों को जन्म देते है ।


यदि कुंडली में चंद्रमा के साथ राहु केतु या शनि युति में है तो व्यक्ति के अंदर मानसिक समस्याएं आने की सम्भवनाएं बन सकती है ।

ध्यान रहे हमेशा राहु केतु या शनि के साथ चन्द्रमा का होना मानसिक समस्या नहीं देता 




 मानसिक रोग होने का समय निर्धारण :-


जब राहु केतु अथवा शनि चन्द्रमा के साथ युति में हों तथा ये 1  6 , 1  6  12 भावोँ से सम्मिलित रुप से सम्बंधित हो तो व्यक्ति इनसे सम्बन्धित दशा अन्तर्दशा में मानसिक बीमारीयों का शिकार होता है तथा व्यक्ति को इलाज के लिए डॉक्टर से परामर्श  (treatment) लेना होता है ।


यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा के साथ राहु केतु अथवा शनि युति करे तथा  1 8 12 , 1 6 8 12 भाव से सम्बंधित हों तो ये लम्बे समय तक चलने वाली मानसिक बीमारी को बताता है । जिसके लिए व्यक्ति को निरन्तर समय समय पर परामर्श तथा दवाइयाँ लेनी पड़ती है ।


राहु बुध युति यदि कुंडली में 1 6 8 12 , 1 6 8 भावों को प्रदर्शित करें तो ये सम्बन्धित दशा अन्तर्दशा में मानसिक आधात , दिमागी बुखार , लकवा का शिकार होता है।



राहु केतु , शनि , बुध सूर्य , चन्द्रमा के साथ प्रथम तथा छठे भाव से सम्बंधित हों तो व्यक्ति को मिर्गी के दौरे आते है ।



ज्योतिष में मानसिक रोग के कारक ग्रह और भाव || depression in astrology




 मानसिक बीमारियाँ  (तनाव , अवसाद , चिंता डर ) के कारण :-

(Tension , Depression , anxiety ,Fear)



👉 अवसाद(Depression ) :- शनि चंद्र युति यदि रोग भाव को प्रदर्शित करें तो व्यक्ति निराश , हताश तथा अवसाद का कारण बनती है ।


👉 तनाव (Tension) :- मंगल राहु का संयोग यदि रोग भाव को प्रदर्शित करे तो व्यक्ति आक्रामक व्यवहार करता है तथा जल्दी तनाव में आजाता है ।


👉 चिंता (anxiety) :- केतु चंद्र युति कुंडली में रोग भावों से सम्बंधित हो तो व्यक्ति हमेशा  बिना कारण चिंता करता रहता है ।



👉 डर ( Fear) : - राहु चन्द्र युति व्यक्ति में डर , भ्रम की स्थिति पैदा करती है ।



📍 सम्बन्धित मानसिक व्याधि कितनी तीव्र और लंबी चलेगी ये सम्बन्धित रोग भाव और दशा अंतरदशा में मानसिक रोग बताने वाले ग्रह के संयोग बताते है ।



निष्कर्ष :- 


राहु केतु शनि के साथ किन्ही भी ग्रहों की युति होना मात्र मानसिक रोग नहीं होता । जब तक रोग से सम्बंधित भाव इनमें सम्मिलित नहीं होते ये मानसिक बीमारियों का कारण नहीं बनती ..





✔️ यदि आप अपनी कुंडली का विश्लेषण करना चाहें तो सम्पर्क करें 



                     Aacharya Upendra Shekhar Bhatt                                           

                            Whatsapp No :-  9414204610


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