गुरुवार, 3 जून 2021

विवाह में देरी के कारण || विवाह में बाधा के कारण तथा समाधान (late marriage problem)

  

विवाह में देरी के कारण   || विवाह में बाधा के कारण तथा समाधान( late marriage problem)

विवाह में देरी के कारण || विवाह में बाधा के कारण तथा समाधान   (late marriage problem)


ज्योतिष में कुंडली का सप्तम भाव विवाह तथा वैवाहिक सुख का भाव होता है ।

विवाह योग्य आयु में सप्तम भाव से सम्बंधित सभी ग्रह अपनी दशा अन्तर्दशा में जातक का विवाह कराने का प्रयास करते हैं ।


लेकिन बहुत बार उपर्युक्त दशा अंतरदशा होने पर भी विवाह होने की स्थितियां नहीं बन पाती ।

जिसके कुंडली में बहुत सारे कारण हो सकते है ।


आइये वैदिक दृष्टिकोण से समझते है विवाह में विलम्ब होने के क्या क्या कारण होते है ।




 विवाह में देरी के कारण || विवाह में बाधा के कारण  (late marriage problem)


मुख्य रूप से कुंडली का छठा भाव (6th house) विवाह में बाधक भाव होता है ।


यदि षड्बल में छठा भाव सप्तम से अधिक बली है ,तो विवाह होने में कठिनाइयाँ आती है ।


सप्तम भाव में शनि अथवा सप्तमेष शनि होने पर भी विवाह देरी से होता है ।


लग्न कुंडली में सप्तमेश का छठे या दशम भाव में होना विवाह में विलम्ब कराता है ।


सप्तम भाव पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव वैवाहिक रिश्ते आने में देरी कराता है।


लग्न कुंडली का सप्तमेष नवमांश कुंडली में त्रिक भावों में हो तो विवाह होने में कठिनाई आती है ।


नवमांश कुंडली के लग्न या लग्नेश से शनि का सम्बन्ध विवाह में विलंब कराता है ।


लग्न कुंडली के सप्तमेष का अल्पबली ( षड्बल 1 से कम) होना विवाह में देरी कराता है ।

विवाह में देरी के कारण || विवाह में बाधा के कारण तथा समाधान   (late marriage problem)



"विवाह तथा समस्त वैवाहिक स्थितियों के विषय में सूक्ष्मता से जानने , जन्म कुंडली विश्लेषण तथा परामर्श के लिए सम्पर्क करें :- 9414204610





विवाह में देरी के कारण || विवाह में बाधा के कारण  (late marriage problem)


मेरा अनुभव तथा विचार ( my opinion)


भारतीय हिन्दू समाज में एक लड़की की विवाह आयु 18 से 28 वर्ष के मध्य तथा लड़के की 21 से 30 वर्ष के मध्य होना सामान्य विवाह आयु माना जाता है ।

इस उम्र के बाद विवाह होना विवाह में देरी माना जाता है ।


आइये शुद्ध ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर समझते है वे कौनसे योग संयोग होते है जो विवाह में देरी का कारण बनते है ।


कुंडली के 1 6 10 भाव ( पहला , छठा तथा दसवां भाव ) विवाह में बाधक भाव होते हैं, ये विवाह होने , वैवाहिक रिश्ते आने में  तथा वैवाहिक रिश्तों को विवाह में परिणित होने में  बाधा उत्पन्न करते हैं ।


जब तक दशा अन्तर्दशा में 1 6 10 , 1  6 , भावों से सम्बंधित ग्रह दशा अन्तर्दशा में दोहराए जाते हैं, तब तक विवाह नहीं होता ।


📍 यदि कुंडली में 1 6 10 , 1  6 , 1 10  भावों से सम्बंधित ग्रह अधिक है तथा विवाह कराने वाले भावों ( 2 7 11 भावों) से सम्बंधित ग्रह कम होते है तो विवाह में हमेशा विलम्ब होता है ।


📍 कुंडली में विवाह कराने  ग्रह मंद गति के ग्रह ( शनि , गुरु )  विवाह में देरी कराते है जब कि शीघ्र गति ग्रह ( सूर्य , शुक्र , बुध , मंगल)

जल्दी विवाह कराते है ।


यदि तीव्र गति से चलने वाले ग्रह विवाह में बाधक होते है तब भी रिश्ते जल्दी से विवाह में परिणित नहीं हो पाते ।



विवाह में देरी के कारण || विवाह में बाधा के कारण तथा समाधान   (late marriage problem)



 विवाह में देरी हो रही हो तो करें ये उपाय :-


कुंडली मे विवाह कराने वाले ग्रहों के रत्न धारण कर उन्हें मजबूत करें ।


विवाह में बाधक ग्रहों से सम्बंधित दान , तथा अधिनिष्ठ देवता के मंत्र जाप करें ।


प्रत्येक सोमवार को व्रत करें तथा शिवलिंग पर  जल ,दूध , दही , केला ,चीनी , से अभिषेक करें तथा बेलपत्र चढ़ाएं  ।


विवाह कारक ग्रह शुक्र यदि विवाह कराने में सकारात्मक है तो सफ़ेद ओपल या जरकिन धारण करें ।


विवाह योग्य लड़के/लड़की घर के उत्तर पश्चिम स्थान पर अपना निवास बनाएं ।


घर मे प्रतिदिन उत्तर पश्चिम कोने में कपूर जलाए ।



✔️ यदि आप अपनी कुंडली का विश्लेषण करना चाहें तो सम्पर्क करें 




                     Aacharya Upendra Shekhar Bhatt                                           
                          Whatsapp No ::--  9414204610


"Works at  advanced  &  practical Astrology"
{हिन्दू वैदिक ज्योतिष , जैमिनी ज्योतिष , नाड़ी ज्योतिष और ताजिक system  ( वर्षफल पद्धति )




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Please do not enter any spam link in tha comment box.

close