Rahu ketu
राहु केतु एक ऐसे छाया ग्रह हैं, जो कोरे काग़ज़ की तरह है जिनके अपने कोई भी परिणाम कभी नहीं होते, जिसपर क्या लिखना और इनके परिणाम निर्धारित करना तो बाकी 7 ग्रहों का काम होता है।
🌹 Rahu ketu :-
हमारे चारों ओर राहु केतु को लेकर हमेशा ये भ्रांति पूर्ण धारणा फैलाई गई है कि ये ज्योतिष शास्त्र में खलनायक होते है ।
जीवन मे सभी कष्ट , तकलीफों , समस्याओं , अवरोधों का कारण राहु और केतु ही होते हैं।..
आपको बता दें कि ये धारणा बिल्कुल एकतरफा और बेबुनियाद है ।
जीवन में जितनी सम्भावना राहु केतु की अशुभ परिणाम देने की होती है ,उतनी ही संभावनाएं इनके शुभ परिणाम देने की भी होती है ।..
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु के अपनी दशा - अंतरदशा में परिणाम देने के बहुत ही विशेष नियम होते है और वे उसी नियम के अनुसार परिणाम देते हैं।
राहु केतु तो एक कोरे कागज की तरह हैं, जिनके अपने कोई भी परिणाम कभी नहीं होते , जिसपर क्या लिखना और इनके परिणाम निर्धारित करना तो बाकी 7 ग्रहों का काम होता है।
राहु केतु से सम्बन्ध रखने वाले सभी ग्रह तय करते हैं, कि उन्हें किसी कुंडली विशेष में आखिर परिणाम क्या देने हैं।
ये अपनी स्थिति और अन्य प्रभावों से इतने शक्तिशाली भी हो सकते है ,कि सभी 7 ग्रह और 12 भावों के परिणाम स्वयं अकेले भी दे सकते है।
इसीलिए राहु केतु के कुंडली में विश्लेषण और परिणाम निर्धारित करने में बहुत ही सावधानी रखनी की आवश्यकता होती है।
राहू और केतु अपनी एक ही दशा -अंतरदशा में शुभ तथा अशुभ दोनों परिणाम भी दे सकते है ।
राहू - केतु की दशा में एक ग्रह की अंतरदशा ( भुक्ति ) अशुभ वही दूसरी अंतरदशा ( भुक्ति) शुभ भी हो सकती है ....!!
इसी प्रकार किसी भी ग्रह की दशा में राहू केतु की अंतरदशा शुभ हो सकती है, वहीं अन्य दूसरे ग्रह की दशा के साथ राहू केतु की अंतरदशा अशुभ हो सकती है ....!!
🌹Rahu ketu
इस दुनियाँ में जितने भी सफल व्यक्ति हैं,जिन्होंने फर्श से अर्श का सफर बहुत ही कम समय में पूरा किया है उन सभी के पीछे कारण राहु और केतु की शुभता का ही होता है....!!
जितने भी सफल नाम जो रातों रात गुमनाम हो जाते हैं,उनका कारण भी राहु और केतु की अशुभता ही होती है ....!
राहु और केतु ही ऐसे ग्रह है जो व्यक्ति को जीवन में वह सभी कुछ दे सकते हैं जिसके बारे में कोई भी व्यक्ति सिर्फ सपने में ही सोच सकता है.......!!
और वह सभी कुछ छीन भी सकते है जिसके बारे में कोई भी कभी भी सोचना भी नही चाहता ....!!
राहु और केतु जीवन के किसी भी स्थिति को पल में बिगाड़ भी सकते है और पल में बिगड़ी को बना भी सकते है ..
🌹 राहु केतु के विषय में भ्रांति और सच:-
🍀 (01) एक भ्रांति राहू और केतु को लेकर हमेशा यह पैदा की जाती है कि इनका समय हमेशा कष्टप्रद होता है । व्यक्ति इनकी दशा अंतरदशा के समय में बहुत सारी समस्याएँ तथा कठिनाइयां झेलता है ।
जी नहीं ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं .....!!
जितने भी सफल व्यक्ति है चाहे राजनेता हों , व्यवसायी हों , खिलाड़ी हों , फ़िल्म स्टार्स हों या पेशेवर लोग हो जिन्होंने बहुत ही कम समय मे विस्फोटक सफलता पाई है वे सभी निश्चत ही राहू - केतु की शुभता का ही परिणाम है। ....
🍀 (02) एक राहू - केतु की जन्म कुंडली मे स्थिति को लेकर बहुत भ्रमित धारणा है, कि वे किसी विशेष भाव मे स्थित होने पर ही शुभ फल देते है .....!!
राहु और केतु जन्म कुंडली के किसी भी भाव में बैठकर शुभ परिणाम दे सकते है और किसी भी भाव में बैठकर अशुभ ... !!
1 ,2 ,4 , 7 , 8, 12 भाव में बैठे राहु या केतु किसी भी व्यक्ति को सफलता की पराकाष्ठा पर ले जा सकते हैं और वहीं केंद्र त्रिकोण में बैठे या इन भावो से संबंधित होने के बाद भी कई कई परेशानियां दे सकते हैं।
🍀 (03) एक बहुत ही बड़ी भ्रांति है इनसे बनने वाले दोषों को लेकर फैलाई जाती है......!!
सबसे ज्यादा डर इन्ही दोषों को लेकर दिखाया जाता है ।
👹👹 काल सर्प दोष ,चांडाल दोष , पितृ दोष और ग्रहण योग सबसे ज्यादा चलने वाले योग/दोष हैं ।
जब भी किसी जातक के जीवन में कभी भी कोई समस्या आती है या असफलता अथवा कठिनाइयां आती हैं तो कारण इन्हीं दोषों का माना जाता है ......!!
हम आपको बता दें कि इन दोषों/योगों से निर्मित व्यक्ति भी जीवन में उतने ही सफल होते हैं, जितने किसी भी अन्य शुभ योगों से निर्मित जातक...
बहुत सारे सफल व्यक्ति हैं, जिनकी कुंडली में ये सभी दोष थे उसके बाद भी इन्होंने सफलता की ऊंचाइयां प्राप्त की है ....!!
(सचिन तेंदुलकर , जवाहर लाल नेहरू,धीरू भाई अम्बानी, स्मिता पाटिल )
ध्यान रहे जीवन में समस्याओं के बहुत सारे कारण होे सकते हैं .....!!
परेशानियां , कठिनाइयां , और समस्याएं तो उन लोगों के भी जीवन में आती हैं जिनकी कुण्डली में बहुत से शुभ योग होते हैं, पंच महापुरुष योग होते हैं या 5 ग्रह अपनी स्व तथा उच्च राशि मे स्थित होकर केंद्र या त्रिकोण में स्थित होते हैं.....!!
जन्म पत्रिका में बनने वाले कोई भी शुभ योग अथवा अशुभ योग/दोष किसी भी सफलता तथा समस्या के कारण कभी नहीं होते ..... !!
ये सिर्फ स्थितियाँ है अंतिम परिणाम नहीं.......!!
किसी भी जन्म पत्रिका में राहू - केतु शुभ भी हो सकते है और अशुभ भी लेकिन इनकी अशुभता का कारण इनसे निर्मित कोई भी दोष कभी नहीं होता.....!!
किसी भी ग्रह द्वारा दिये जाने वाले परिणामों का निर्धारण उस ग्रह की विशेष स्थिति एवं भाव विशेष से संबंधों के आधार पर निर्धारित होता है .....!!
जिन्हें हम लग्न कुंडली के अतिरिक्त , अन्य प्रमुख लग्नों , प्रमुख वर्ग कुंडलियों , संबंधित अष्टक वर्गों , राशि/ भाव अर्गला , विशेष वर्ष कुण्डली , समय विशेष की दशा , अंतरदशा ,गोचर सभी का एक साथ गहनता से कई कई स्तरों पर सम्मलित विश्लेषण करके ही देख सकते है !!
क्योंकि जन्म कुंडली मे जैसा दिखता है वैसा हमेशा नहीं होता और जो होता है वह तो बहुत ही गहराई में ही छिपा है, जिसे देख पाना गहन कुण्डली विश्लेषण से ही संभव होता है ......!!
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यदि आप अपनी जन्म कुंडली का विश्लेषण कराना चाहते है या जीवन के किसी भी विषय पर सटीक भविष्य कथन के साथ सही सकारात्मक मार्गदर्शन और आवश्यक उपाय जानना चाहते हैं तो सम्पर्क कर सकते हैं ...............!!!!!
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कुछ आसान , आवश्यक तथा सही समय पर किये गए सही उपाय , कुछ जन्म पत्रिका के अनुसार सकारात्मक ग्रहो का सहयोग और कुछ सही मार्ग का चयन और सही दिशा में किया गया परिश्रम । सुखी और खुशियों से भरा जीवन दे सकता है ....................!!!!!!
Aacharya Upendra S. Bhatt
Whatsapp No ::-- 9414204610
"Works at advanced & practical Astrology"
विशेषज्ञ:-
(हिन्दू वैदिक ज्योतिष, नाड़ी ज्योतिष ,जैमिनी ज्योतिष ,ताजिक पद्धति )
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