lagna rashi ( लग्न राशि ) तथा लग्न का महत्त्व :-
🍀 कुंडली के भाव ( घर , गृह ) ( HOUSES IN VEDIC ASTROLOGY)
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में समस्त आकाश मंडल (भचक्र) को 30° 30° बराबर अंशों में 12 भागों में बांटा गया है अतः कुल 12 (360 ÷ 30) बराबर भाग होते हैं ,जिन्हें जन्म कुंडली के भाव कहा गया है ।
व्यक्ति के जन्म के समय जो भाग सुदूर पूर्वी क्षितिज पर होता है ,वह कुंडली में प्रथम भाव होता है, जिसे लग्न भाव कहते हैं और जो भाग पश्चिमी क्षितिज पर वह हमारी जन्म कुंडली में सप्तम भाव कहलाता है ।
ठीक हमारे सिर के ऊपर वाला भाग जन्म पत्रिका का दशम भाव और ठीक पृथ्वी के दूसरे भाग का आकाश जो अमेरिका के ऊपर है कुंडली का चतुर्थ भाव होता है ।
बाकी सभी भाव इसी क्रम में 30° के अंतर पर होते है ...
🍀 राशियाँ क्या होती है:- (zodiac sign )
"राशि" संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ झुंड या समूह से है।
पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा करने वाले समस्त आकाशीय मार्ग को 12 हिस्सो में बांटा गया है। जिसकी पहचान तारों के अलग अलग आकृति के समूहों से की जाती है, जिसे राशि कहते हैं।
राशियाँ 12 होती हैं, जिनको अंको के आधार पर भी जाना जाता है । वह निम्न हैं। :--
1 - मेष 7 - तुला
2 - वृष 8 - वृश्चिक
3 - मिथुन 9 - धनु
4 - कर्क 10 - मकर
5 - सिंह 11 - कुम्भ
6 - कन्या 12 - मींन
भाव हमेशा स्थिर रहते है, लेकिन समस्त राशियाँ और उनमें स्थित ग्रह पृथ्वी के घूमने के कारण पूर्व से उदय होकर पश्चिम में अस्त होते रहते हैं। इसलिए अलग अलग राशियाँ और उनमें स्थित ग्रह सभी भावों से 24 घण्टो में पूरा एक चक्कर लगा लेते हैं।
❣️ लग्न :- (lagna rashi)
व्यक्ति के जन्म के समय सदूर पूर्व क्षितिज में जो राशि उदित होती है ,वहीं लग्न अथवा लग्न राशि(Lagna rashi) कहलाती है। यह जन्म कुंडली का प्रथम भाव(1st House) होता है ।
जैसे यदि व्यक्ति के जन्म के समय पूर्व क्षितिज पर 3 नम्बर( मिथुन) राशि है, तो वह मिथुन लग्न की कुंडली होगी ,अतः प्रथम भाव मे 3 अंक अंकित होगा ।
इसी प्रकार यदि प्रथम भाव 10 अंक अंकित है ,तो मकर लग्न राशि होगी और वह कुंडली मकर लग्न की कहलायेगी।
एक राशि एक भाव में लगभग 2 घंटे तक रहती है फिर अगली राशि उस भाव में आ जाती है और
यही क्रम पृथ्वी के घूर्णन के कारण चलता रहता है ।
🎈हिन्दू ज्योतिष (वैदिक ज्योतिष) में लग्न (lagna rashi) का महत्त्व :-
भारतीय वैदिक ज्योतिष में लग्न राशि (lagna rashi) सबसे महत्त्वपूर्ण मानी जाती है । लग्न ( प्रथम भाव ) में
स्थित राशि (lagna rashi) के आधार पर ही व्यक्ति के शारीरिक , मानसिक स्थितियों के साथ साथ उसके जीवन के सभी सुख दुख तथा सभी स्थितियों का निर्धारण होता है ।
लग्न राशि(lagna rashi) के आधार पर ही सभी 9 ग्रहों का निर्धारण होता है , कि कौनसे ग्रह "त्रिकोणेश होंगे और कौनसे केंद के मालिक । "
लग्न राशि के आधार पर ही ये जाना जाता है ,कि कौनसा ग्रह जीवन में क्या परिणाम देगा , कौनसा ग्रह व्यक्ति के लिए शुभ है तथा कौनसा ग्रह अशुभ ...!!
कुंडली के सभी योग दोष भी लग्न राशि से ही तय होते हैं।
व्यक्ति की शिक्षा , क्षेत्र , आजीविका , आजीविका का क्षेत्र, आर्थिक स्तर , आर्थिक उपलब्धियां, समस्त वैवाहिक जीवन , सन्तान सुख , बीमारी , दुर्घटना , सभी तरह के सुख ,कष्ट , लग्न राशि से ही निर्धारित होते हैं ।
◆ पितृ दोष , लक्षण , प्रभाव , उपाय तथा निवारण :-
💗 जन्म कुंडली जीवन का स्कैन है जिसमे सभी अच्छे या बुरी स्थितियों को देखा जा सकता है .......!!
ज्योतिष शास्त्र का सर्वोत्तम व्यवहारिक उपयोग यही है कि हम आज ..!
आने वाले कल के लिए जीवन का बेहतरीन प्रबन्धन (management) कर सकें ..........!!
aacharya upendra Shekhar bhatt
whatsapp No ::-- 9414204610
www.astroupendra.com
"Works at advanced & practical Astrology"
{हिन्दू वैदिक ज्योतिष , जैमिनी ज्योतिष , नाड़ी ज्योतिष और ताजिक system ( वर्षफल पद्धति )


कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Please do not enter any spam link in tha comment box.