वसुमती योग देता है अपार धन सम्पदा (vasumati yoga)
कुंडली में वसुमती योग का निर्माण :-
जब जन्म कुंडली में लग्न अथवा चन्द्रमा से उपचय भावों (3 6 10 11) में बुध स्थित हो तो वसुमती योग (vasumati yoga) निर्मित होता है ।
अधिकांशतः यह देखा जाता है कि वसुमती योग का प्रभाव चन्द्रमा की अपेक्षा लग्न से अधिक प्रभावी होता है ।
वसुमती योग के फल :-
Effect of vasumati yoga
जन्म कुंडली के 3 6 10 11 भाव कर्म भाव तथा अर्थ भाव है ,जो व्यक्ति के कार्य तथा आमदनी को बताते है ।
वैदिक मान्यता के अनुसार बुध का इन भावों में स्थित होना जातक को अपार धन सम्पदा का मालिक बनाता है तथा उसकी प्रतिष्ठा सभी दिशाओं में होती है ।
जब बुध के साथ उपचय भावों में एक से अधिक ग्रह अपनी स्व या उच्च राशि में हो अथवा सम्बन्धित भावेश अपनी उच्च राशि में हों तो वसुमती योग (vasumati yoga ) के सम्पूर्ण शुभ फल मिलते हैं।
व्यक्ति कई कई साधनों से धनार्जन करता है तथा सम्बन्धित दशाओं में वह धनाढ्य होने के साथ प्रतिष्ठा तथा सम्पतियों का मालिक बनता है ।
यदि बुध इन भावों में नींच राशि का है अथवा सम्बन्धित भावेश नींच या अष्टम तथा द्वादश भाव में स्थित है ,तो वसुमती योग (vasumati yoga ) के शुभ फल नष्ट हो जाते हैं ।
सटीक कुंडली विश्लेषण तथा ज्योतिषीय परामर्श के लिए सम्पर्क करें :- whatsapp no -9414204610
Astrologer Upendra Shekhar Bhatt
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अधिकांशतः यह देखा जाता है कि वसुमती योग का प्रभाव चन्द्रमा की अपेक्षा लग्न से अधिक प्रभावी होता है ।
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जन्म कुंडली के 3 6 10 11 भाव कर्म भाव तथा अर्थ भाव है ,जो व्यक्ति के कार्य तथा आमदनी को बताते है ।
वैदिक मान्यता के अनुसार बुध का इन भावों में स्थित होना जातक को अपार धन सम्पदा का मालिक बनाता है तथा उसकी प्रतिष्ठा सभी दिशाओं में होती है ।
जब बुध के साथ उपचय भावों में एक से अधिक ग्रह अपनी स्व या उच्च राशि में हो अथवा सम्बन्धित भावेश अपनी उच्च राशि में हों तो वसुमती योग (vasumati yoga ) के सम्पूर्ण शुभ फल मिलते हैं।
व्यक्ति कई कई साधनों से धनार्जन करता है तथा सम्बन्धित दशाओं में वह धनाढ्य होने के साथ प्रतिष्ठा तथा सम्पतियों का मालिक बनता है ।
यदि बुध इन भावों में नींच राशि का है अथवा सम्बन्धित भावेश नींच या अष्टम तथा द्वादश भाव में स्थित है ,तो वसुमती योग (vasumati yoga ) के शुभ फल नष्ट हो जाते हैं ।
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