पितृ दोष , पितृ दोष के लक्षण , पितृ दोष निवारण
(Pitra dosh , pitra dosh nivaran)
पितृ दोष , पितृ दोष के लक्षण , प्रभाव, उपाय तथा निवारण (Pitra dosha) :-
- पितृ दोष क्या होता है ?
- पितृ दोष कुंडली मे कैसे बनता है ?
- पितृ दोष के क्या प्रभाव ,लक्षण या पहचान होती है ?
- पितृ दोष निवारण या शांति के क्या उपाय है ?
- कब पितृ दोष अत्यंत शुभ परिणाम भी दे सकता है ?
- निष्कर्ष...
पितृ दोष को लेकर समाज मे सच्चाई से कही अधिक भ्रांतियां व्याप्त है ,इसके निर्मित होने पर भी और पितृ दोष के द्वारा जीवन पर होने वाले प्रभाव को लेकर भी...
आइए उस सटीक और व्यवहारिक पक्ष को समझते है और देखते है कब किन स्थितियो में कुंडली में निर्मित पितृ दोष समस्याप्रद होता है तथा कब अत्यंत सुखद परिणाम भी दे सकता है..
एक व्यवहारिक और अनुसनसन्धात्मक विश्लेषण :-
⭕ पितृ दोष क्या है :-
हिन्दू समाज मे ये धारणा है कि हमारे पूर्वज जो हमारे जन्म से पूर्व अकस्मात या अचानक या दुर्घटनावश समय से पूर्व मृत्यु को प्राप्त हो जाने के कारण उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती जिसके कारण उनकी आत्मा अतृप्त रहती है और भटकती रहती है जिसके कारण पितृ दोष का निर्माण होता है तथा उसका प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है इसे पितृ दोष कहते है ..
⭕ पितृ दोष कुंडली मे कैसे निर्मित होता है :-
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जन्म कुंडली का नवम भाव (9 th house)
हमारी पिछली पीढ़ी (past generation) का तथा पंचम भाव (5 th house) अगली पीढ़ी( next generation) का होता है ..
पंचम भाव नवम से नवम भाव भी है अतः नवम भाव के सहायक भाव के रूप में भी देखा जाता है ,
सूर्य पिता का कारक है..
जब नवम अथवा पंचम भाव मे सूर्य के साथ राहु अथवा केतु की युति हो तो पितृ दोष माना जाता है..
कुछ मान्यताएं ये भी है कि नवम भाव मे राहु अथवा केतु की स्थिति या अष्टम भाव मे सूर्य के साथ राहु केतु की युति भी पितृ दोष निर्मित करती है
कुछ धारणाएं ये भी बन गई है कि नवम भाव के स्वामी अथवा सूर्य के साथ राहु केतु या शनि की युति कुंडली के किसी भी भाव में स्थिति होने पर भी पितृ दोष निर्मित हो जाता है ...
मेरा मानना है कि पितृ दोष का सम्बन्ध हमारे पूर्वजों से है अतः बिना नवम भाव के संयोग के पितृ दोष नहीं बनता ..
⭕ - पितृ दोष के हमारे जीवन पर क्या लक्षण तथा , प्रभाव होते है :-
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पितृ दोष के जीवन पर पड़ने वाले वास्तविक प्रभाव को लेकर भी सच से कही अधिक भ्रम का जाल बुना गया है जीवन मे कोई भी समस्या या तकलीफ को सीधे पितृ दोष से जोड़ दिया जाता है ...
आइए पितृ दोष के प्रभाव के विषय मे सच जानते है
जन्म कुंडली मे पितृ दोष का प्रभाव सिर्फ हमारे अध्ययन , सन्तान और कर्म क्षेत्र पर ही पड़ता है और किसी क्षेत्र में नहीं ..
जातक की पढ़ाई में अचानक व्यवधान आना या अध्ययन बीच मे ही छूट जाना ...
सन्तान का गर्भ में ही गिर जाना , या अजन्मे बच्चे का जन्म , शारीरिक या मानसिक रूप से पीड़ित सन्तान का जन्म होना ..
नौकरी/ व्यवसाय में बार बार बदलाब का आना जो दु:खद या तकलीफदेह और हानिप्रद हों ,कार्य क्षेत्र में स्थान परिवर्तन जो दु:खद हों पितृ दोष के प्रभाव होते हैं..
प्रमुख बातें:-
( नौकरी न लगना या व्यवसाय न कर पाना ,
गर्भधारण न हो पाना अथवा अनपढ़ रह जाना पितृ दोष के लक्षण या प्रभाव कभी नहीं होते ..)
इसके अतिरिक्त सम्पति का कम कीमत पर अचानक बेचना , या बार बार अपने निवास स्थान में परिवर्तन भी पितृ दोष के प्रभाव होते है यदि ये स्थिति बार बार बनती है सिर्फ तभी...
⭕ पितृ दोष निवारण के उपाय :-
(पितृ दोष निवारण के मंत्र , पूजा) :-
1) सामान्यतः पितृ दोष के विषय में बहुत खर्चीले और बड़े बड़े उपाय बताए जाते है आइए बहुत सामान्य और घरेलू उपायो के विषय में जानते है जो आपकी श्रद्धा और मन से करने पर कहीं अधिक प्रभावी हो सकते है ..
2) प्रत्येक अमावस्या के दिन जल हाथ मे लेकर संकल्प करके पूर्वजो की आत्मा की शांति की उपासना करें और श्रद्धानुसार कुछ पैसे उनके नाम से निकाल कर किसी ब्राह्मण को दान दें अथवा यदि आप अपने पूर्वज के विषय मे जानते है जो अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए है तो उनकी आयु वर्ग के ही ब्राह्मण को दान करें..
3) पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन संकल्प करके दक्षिणा निकाले और ब्राह्मण को भोजन कराकर दें ..
4) अमावस्या के दिन कौओं को चावल और दूध की खीर बनाकर खिलायें...
5) प्रत्येक अमावस्या को पितृ सूक्तम का पाठ करें।
6) पितृ दोष शांति के लिए "ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः " मन्त्र का जाप भी आप कर सकते है ..
💞 पितृ दोष ( एक व्यवहारिक परीक्षण )
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( क्या कुंडली में मान्य पितृ दोष भी शुभ परिणाम भी दे सकता है .?)
जन्म कुंडली में मान्य कोई भी दोष सिर्फ तभी दोष माना जा सकता है जब उस दोष निर्मित ग्रह के परिणाम अपने समय मे वास्तव में कोई कष्ट दें ...
दूसरी बात हर समस्या या तकलीफ के पीछे पितृ दोष ही कारण हो ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं होता ..
जन्म कुंडली मे राहु और केतु को हमेशा ही अशुभ और समस्या प्रद ग्रह माना जाता रहा है जब कि राहु केतु के स्वयम के कोई भी परिणाम कभी नहीं होते ।
राहु केतु अपने नक्षत्र स्वामी के साथ साथ जिस राशि मे हों उसके स्वामी ग्रह के , जिस ग्रह के साथ युति में हों उस ग्रह के और जिसकी दृष्टि में हो उस ग्रह के परिणाम देते है ।...
अब यदि ये सभी या इनमें से अधिकांश ग्रह शुभ परिणाम दे रहे है तो राहु केतु भी शुभ परिणाम ही देंगे ...
पितृ दोष निर्मित संयोग में गुरु अथवा बुध की युति अथवा दृष्टि कुछ विशेष संयोग के साथ है तो व्यक्ति जीवन मे जबरदस्त सफलता पाता है ..
व्यक्ति अनेक व्यवसाय अथवा मार्ग से धनार्जन करता है ये उच्च और सफल शिक्षा के साथ पूर्ण सन्तान सुख की प्राप्ति होती है ...
🎈 निष्कर्ष :-
जन्म कुंडली मे किसी भी स्थिति को सिर्फ एक ही दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए ..
कोई भी निर्णय जन्म कुंडली की सभी स्थितियो का सूक्ष्मता से निरीक्षण और परीक्षण करने के पश्चात ही लिया जाना चाहिए ।...
कार्यक्षेत्र में समस्याएं , बदलाव ,हानि , सन्तान कष्ट , सन्तान सुख में व्यवधान अथवा अध्ययन में रुकावटे आने के और भी बहुत कारण होते है ..
मान्य पितृ दोष जन्म पत्रिका में है तथा शुद्ध पत्रिका विश्लेषण में पितृ दोष के परिणाम यदि समस्याप्रद हैं ,तब हम उपाय कर सकते है और यदि समस्याप्रद नहीं आते ।
है तो फिर डरना क्यों ?...
😊😊
जन्म कुंडली जीवन का स्कैन है जिसमे सभी अच्छे या बुरी स्थितियों को देखा जा सकता है .......!!
ज्योतिष शास्त्र का सर्वोत्तम व्यवहारिक उपयोग यही है कि हम आज ..!
आने वाले कल के लिए जीवन का बेहतरीन प्रबन्धन (management) कर सकें ..........!!!
💞 कुछ आसान , आवश्यक और सही समय पर किये गए सही उपाय , कुछ जन्म पत्रिका के अनुसार सकारात्मक ग्रहों का सहयोग तथा सही मार्ग का चयन और सही दिशा में किया गया परिश्रम....!!
सुखी और खुशियों से भरा जीवन दे सकता है .................!!!
❣️ Aacharya Upendra Shekhar Bhatt
Whatsapp No ::-- 9414204610
"Works at advanced & practical Astrology"
【हिन्दू वैदिक ज्योतिष , जैमिनी ज्योतिष , नाड़ी ज्योतिष और ताजिक system ( वर्षफल पद्धति】
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