गुरुवार, 25 मार्च 2021

क्या मांगलिक की शादी गैर मांगलिक से हो सकती है (kya manglik ki shadi gair manglik se ho sakti hai )

 क्या मांगलिक की शादी गैर मांगलिक से हो सकती है?



क्या मांगलिक की शादी गैर मांगलिक से हो सकती है ? 

जबाब होगा जी हां,  बिल्कुल हो सकती है..


क्या मांगलिक की शादी गैर मांगलिक से हो सकती है


⭕ आज हिन्दू समाज में मांगलिक योग/ दोष को लेकर में सबसे अधिक भ्रांति व्याप्त है..

और ये रूढ़िवादी धारणा बनी हुई है कि मांगलिक  वर अथवा वधु का विवाह मांगलिक वधु अथवा वर से ही होना चाहिए...

अन्यथा वैवाहिक जीवन में बहुत अधिक समस्याएँ आती है तथा मांगलिक तथा नान मांगलिक का वैवाहिक जीवन पर्यंत समस्यप्रद रहता है ...

जबकि सच और वास्तविकता इससे कोसों दूर होती है...


⭕ क्या है मांगलिक होना  तथा मांगलिक दोष .? 

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मांगलिक होना और मांगलिक दोष होना ये दोनों बातें बिल्कुल अलग अलग होती है ..

यहां हमें समझना होगा कि मांगलिक होना वैवाहिक जीवन में कष्टप्रद नहीं होता ..

मांगलिक दोष या मंगल दोष होना कष्टकारी है...


मांगलिक होना वह स्थिति है जब जन्म कुंडली में मंगल 1 4 7 8 12 भावों में से किसी भी भाव में स्थित हो  .


जब कि मंगल दोष या मांगलिक दोष वह स्थिति है जब कुंडली में मंगल के परिणाम वैवाहिक जीवन में कष्टप्रद हों..


👉 अब मंगल के कुंडली मे 1 4 7 8 12 भावों में बैठने से ये कहाँ निर्धारित हुआ कि मंगल के परिणाम वैवाहिक जीवन में समस्याएं देंगे ...


 💞 भारतीय ज्योतिष  में मंगल- आत्मविश्वास ,बल , पराक्रम सहिष्णुता  ,प्रोत्साहन , बुद्धि कौशल , तर्क ज्ञान   ,नेतृत्व क्षमता ,  तीक्ष्ण बुद्धिमत्ता ,

🎈 और सबसे ऊपर सभी मांगलिक कार्यो का प्रतिनिधित्व करता है ..।


अब यदि मंगल इन सभी शुभ कर्मों का प्रतिनिधित्व करता है तो फिर विवाह और वैवाहिक जीवन में क्या मंगल  कुंडली मे 1 4 7 8 12 भावों में बैठकर हमेशा अपना विपरीत ही प्रभाव  देता है ..?

 नहीं  बिल्कुल भी नहीं ...!!

फिर ये भ्रांतियां क्यो फैलाई जाती है ..?




⭕  कुंडली में मांगलिक दोष ( मंगल दोष) कब बनता है ..?

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जन्म कुंडली में मंगल यदि वैवाहिक जीवन में समस्याओं का कारण बनता है तो वह स्थिति मांगलिक दोष अथवा मंगल दोष कहलाती है ।

जब जन्म कुंडली में मंगल पीड़ित होकर तथा अल्पबली होकर अशुभ भावो के संयोगों में हो तो मंगल का प्रभाव नकारात्मक होगा ...

और जब नकारात्मक मंगल 


सप्तम भाव को प्रभावित करेगा तब ही मंगल दोष  अथवा manglik dosh निर्मित होगा ।

👉 और जब तक ये दोनों स्थितियां सम्मिलित रूप से नहीं बनती तो manglik dosh नहीं होगा ..।



💕 मांगलिक दोष ( mangal dosha ) के वैवाहिक जीवन पर प्रभाव:-

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आइये उन स्थितियो को समझते है जब मंगल वैवाहिक जीवन मे दोषयुक्त प्रभाव रखता है ...


⭕ (1)  जब जन्म कुंडली में मंगल किसी भी भाव में बैठकर सम्मिलित रूप से सप्तम, अष्टम तथा द्वादश भाव से सम्बंधित है तो मंगल स्वभावतः आक्रामक  की भूमिका में होता है ।

ये स्थिति वैवाहिक जीवन में लड़ाई झगड़े और तनाव का कारण बनती है तथा वैवाहिक सुख को क्षीण करती है।


⭕  (2)  जब कुंडली के तृतीय भाव मे बैठकर मंगल सप्तम अष्टम और द्वादश भाव से सम्मिलित सम्बन्ध बनाता है तो मंगल आक्रामक के साथ विध्वंसक भूमिका में होता है ,जो

 वैवाहिक जीवन मे लड़ाई झगड़े के साथ मानसिक और  शारीरिक उत्पीड़न  का कारण भी बनता है ।


⭕ (3)  तृतीय भावस्थ मंगल और प्लूटो की युति का सम्बन्ध जब 7 8 12 भावो से भी हो तो मंगल जीवन मे विनाशकारी भूमिका में होता है ।

सामान्यतः ये संयोग डाकू , कातिल की कुंडली में मिलते हैं।


⭕ (4)  मंगल + शुक्र की युति यदि पंचम, अष्टम तथा द्वादश भाव से सम्मिलित सम्बंधित हो तो ही ये विवाहोत्तर सम्बन्धों को जन्म देती है अन्यथा बिल्कुल भी नहीं..


⭕ (5)  मंगल के साथ राहु कुंडली के किसी भी भाव मे बैठकर 6 7 8 12 भावो से सम्मिलित सम्बन्ध बनाये तो ये स्थिति तनाव ,लड़ाई झगड़े के साथ विवाह विच्छेद को जन्म देती है ..।


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💞 निष्कर्ष:-

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 अतः ये बिल्कुल स्पस्ट है कि मांगलिक वर अथवा वधू का विवाह नान मांगलिक वधु अथवा वर से हो सकता है ..


लेकिन किसी भी एक कि अथवा दोनो की कुंडली में  मांगलिक दोष होने पर ये विवाह वर्जित होना चाहिए..


कुंडली के 1 4 7 8 12 भाव में मंगल का होना मांगलिक दोष नहीं होता ..

मांगलिक दोष मंगल के कुंडली के किसी भी भाव में बैठकर वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव रखने से होता है ...


❤️ ज्योतिष सुखमय जीवन के लिए भविष्य पथ प्रदर्शन की वॉज्ञानिक अवधारणा है ना कि भ्रांतियों और रूढियों में उलझाकर डर दिखाने वाला विचार....


सावधान रहें उन लोगों से जो भय , भ्रांति और गुमराह करने का खेल खेलते  है ...

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  💞 Acharya Upendra Shekhar Bhatt   

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       works at  advanced  &  practical Alastrology"

{हिन्दू वैदिक ज्योतिष , जैमिनी ज्योतिष , नाड़ी ज्योतिष और ताजिक system  ( वर्षफल पद्धति )


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