विपरीत राजयोग ( vipreet rajyog):--
📍 विपरीत राजयोग ( vipreet rajyog) क्या होता है ..?
📍 विपरीत राजयोग ( vipreet rajyog) जन्म पत्रिका में कैसे बनता है..?
📍 विपरीत राजयोग ( vipreet rajyog) के क्या नियम है तथा इसके क्या लाभ है .?
📍 विपरीत राजयोग ( vipreet rajyog) कैसे फलित होता है तथा इसके क्या प्रभाव होते है ?
📍 विपरीत राजयोग का आधुनिक परिपेक्ष में परीक्षण..
⭕ विपरीत राजयोग ( vipreet rajyog) :-
भारतीय परम्परागत ज्योतिष में जन्म कुंडली के 6 , 8 , 12 भावों को त्रिक भाव (अशुभ भाव ) माना गया है...
ज्योतिष शास्त्र में ये मान्यता है कि जब त्रिक भावों ( अशुभ भावों) के स्वामी ग्रह कुंडली के योगकारक ग्रहों से दृष्टि - युति सम्बन्ध बनाते है तो जन्म कुंडली में बड़े बड़े राजयोग भंग हो जाता है ..
लेकिन जब त्रिक भावों ( 6 8 12 भावों ) के स्वामी ग्रह इन्ही भावों (त्रिक भावों) में से किसी भी भाव में स्थित होते है तो कुंडली में विपरीत राजयोग ( vipreet rajyog) निर्मित होता है..
⭕ विपरीत राजयोग के प्रकार:-
( Typs of vipreet rajyog)
मंत्रेश्वर महाराज ने अपनी रचना फलदीपिका में तीन प्रकार के विपरीत राजयोग बताये हैं ।
✅ 1) हर्ष विपरीत राजयोग :- जब जन्म कुंडली में 6 th house का स्वामी 6 8 12 वें भाव में हो तो हर्ष विपरीत राजयोग बनता है
✅ 2) सरल विपरीत राजयोग:- जब कुंडली के 8 th house का स्वामी 6 8 या 12 वें भाव में स्थित हो तब सरल विपरीत राजयोग का निर्माण होता है..
✅ 3) विमल विपरीत राज योग :- जब 12 house का स्वामी 6 , 8 या 12 वें भाव में बैठे तो विमल विपरीत राजयोग निर्मित होता है..
⭕ विपरीत राजयोग के नियम तथा आवश्यक शर्ते:-
1】जन्म कुंडली में 6 8 12 भावों पर तथा इनके भावेशों पर पाप प्रभाव होना आवश्यक है ..
2】जन्म कुंडली में 6 8 12 भाव तथा भावेश के ऊपर किसी प्रकार से शुभ ग्रह अथवा योगकारक ग्रहों का प्रभाव( दृष्टि , युति) भी नहीं होना चाहिये...
⭕ विपरीत राजयोग कैसे फलित होता है :-
भारतीय परंपरागत ज्योतिष में 6 8 12 भावों की त्रिक भाव माना गया है तथ ये मान्यता है कि इनके प्रभाव तथा परिणाम अशुभ होते है ..
जन्म कुंडली में -
👉 छटा भाव (6th house) :- रोग , शत्रु , ऋण, विपत्ति, जख्म , निंदा , चोरी, युद्ध का होता है
👉 आठवां भाव (8th house):- मृत्यु , वैराग्य , कष्ट , झगड़ा, मुसीबत , नाश , राज्यकोप , अंग भंग , शल्य क्रिया , गुप्त रोग का भाव होता है
👉 बारहवाँ भाव (12th house):- व्यय भाव है जो खर्चे , सभी प्रकार की हानि ,धन नाश , कैद , बंधन , जन विरोध , शरीर हानि , गरीबी , अधिकार नाश , पद अवनति देने वाला भाव होता है
📍 जब त्रिक भावों (6 8 12 ) के स्वामी ग्रह इन्ही भावों (6 8 12 , house) में स्थित होते हैं तो त्रिक भाव संबंधीत सभी अशुभ फलों का नाश करते है जो जातक को मिलने होते है ..
अतः माना जाता है कि जब कष्टकारक भावों के स्वरुप में कमी होगी तब इनके प्रभावों तथा परिणामों में कमी आएगी जिससे विपरीत राजयोग का निर्माण होगा ।
⭕ विपरीत राजयोग के परिणाम :-
क्या वास्तव में विपरीत राजयोग सुख , सम्पति , वैभव , या सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला होता है , क्या विपरीत राजयोग कम मेहनत में सफलता दिलाने वाला राजयोग है..?
वास्तव में ये देखा जाता है कि विपरीत राजयोग के परिणाम अन्य राजयोगों की तरह नहीं आसानी तथा शुभता से नहीं मिलते
📍 जब विपरीत राजयोगकारक ग्रह की दशा या अंतरदशा आती है तो जातक के समक्ष सभी स्थितियां विपरीत होती हैं तथा ये समय चुनौतियों और कठिनाइयों से भरा होता है । विपरीत राजयोग के समय व्यक्ति के लिए जिम्मेदारियों और मुसीबतें कदम कदम पर होती है
विपरीत राजयोगकारक ग्रह की दशा/अंतरदशा जातक को जुझारू , आत्मबली और संघर्षशील बनाती है ..
वास्तव में जातक के समक्ष ये समय अपनी योग्यता साबित करने का होता है !!
इस समय जातक अपने संघर्ष से अपनी योग्यता के अनुरूप कठिनाइयों , चुनौंतियों का सामना करता है और विपरीत स्थितियों से लड़कर अपना रास्ता स्वयं निर्मित करता है ...
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💞 विपरीत राजयोग का आधुनिक परिपेक्ष में एक परीक्षण..
ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार त्रिक भाव सिर्फ अशुभ फल ही देते है जब कि आज के परिपेक्ष में 6 8 12 भाव हमारे जीवन के बहुत बड़े क्षेत्र में शुभता भी रखते है ..
त्रिक भाव (6 8 12 ) हमारे व्यवसाय/ नौकरी, प्रतिस्पर्द्धा , हस्तांतरित आय , पुश्तेनी सम्पत्ति, धन, दहेज से प्राप्त आय, हमारे विलासिता के स्तर , विदेश यात्रा, शैया सुख के भाव भी है..
जब 6 8 12 भाव कमजोर होंगे , पीड़ित होंगे तब इसके शुभ परिणाम भी नष्ट हो जाएंगे ..
अतः आधुनिक समय मे हम इसे एक सुखद या शुभ परिणाम देने वाला राजयोग नहीं मान सकते..
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{हिन्दू ज्योतिष , जैमिनी ज्योतिष , नाड़ी ज्योतिष और ताजिक system ( वर्षफल पद्धति)
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