पतिव्रता पत्नी योग
पतिव्रता पत्नी योग एक बहुत ही विशेष ग्रहों के योग और संयोग से व्यक्ति की कुंडली में बनता है
आज सभी विवाह करने वाले पुरुष अथवा विवाहित पुरुष की यह चाहत होती है कि उसकी पत्नी पतिव्रता हो
आइये भविष्यकथन की दो अलग अलग पद्धतियों से समझते है कि पतिव्रता पत्नी योग के व्यक्ति की कुंडली में वे कौनसे संयोग होते है जिससे उन्हें पतिव्रता पत्नी मिलती है
पतिव्रता पत्नी योग
वैदिक दृष्टिकोण से सप्तम भाव विवाह का भाव होता है तथा शुक्र विवाह तथा वैवाहिक सुख का कारक है गुरु मर्यादा , सामाजिक नियमों , सद्गुण तथा उच्च नैतिक गुणों को प्रदर्शित करता है तथा
नवमांश कुंडली सप्तम भाव से मिलने वाले सूक्ष्म परिणामों का विस्तृत रूप से बताती है
जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सप्तम भाव , सप्तमेश तथा शुक्र अपनी उच्च या मित्र राशि में केंद्र अथवा त्रिकोण में स्थित हों तथा नवमांश वर्ग में ये सभी 6 8 12 भावों में स्थित ना हों तो ये उच्च वैवाहिक सुख और व्यवस्थित , विश्वस्त मैरिज लाइफ को बताता है
जब सप्तम भाव , सप्तमेश तथा शुक्र में से कम से कम कोई भी दो ग्रह अथवा भावेश गुरु से दृष्ट अथवा सम्बंधित हों तो जातक का वैवाहिक जीवन सुखों के साथ सामाजिक नियमों , मर्यादा विश्वास की डोर में बंध जाता है
उसे विवाह सुख के साथ ऐसी पत्नी मिलती है जो सभी सुख दुख में साथ निभाने के साथ साथ पति के प्रति वफादार , ईमानदार तथा कर्तव्य परायण होती है
पति की खुशी में ही अपना सुख देखती है तथा वैवाहिक जीवन के प्रति जो उसके कर्तव्य होते है उन्हें जीवन पर्यंत निभाती है
नाड़ी ज्योतिष के अनुसार जब अधिकांश ग्रह 2 7 11 , 7 11 , के साथ पंचम अथवा नवम भाव को प्रदर्शित करे तथा शुक्र भी इन संयोगों में सम्मिलित हो तो जातक को विश्वास योग्य , धर्म परायण , तन मन धन से सभी कर्तव्यों का पालन करने वाली तथा पति धर्म को ईमानदारी से मरतेदम तक निभाने वाली पतिव्रता पत्नी मिलती है
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