सोमवार, 26 अप्रैल 2021

कुंडली के हिसाब से कौन सा रत्न पहने (Ratna jyotish

 

कुंडली के हिसाब से कौन सा रत्न पहने  (Ratna jyotish)


कुंडली के हिसाब से कौन सा रत्न पहने  (Ratna jyotish)




● रत्न धारण करने के कारण तथा गलत रत्न पहनने के नुकसान


●  कुंडली के हिसाब से कौन सा रत्न पहने


●   सही और आवश्यक रत्न का चुनाव तथा  रत्न निर्धारण का आधार क्या होता है..


● रत्न धारण करने के सामान्य आवश्यक नियम


(एक आधुनिक विचारधारा और व्यवहारिक दृष्टिकोण तथा अनुसंधान परक विश्लेषण ))

⭕ रत्न धारण करने के कारण तथा गलत रत्न पहनने के नुकसान :-


कुंडली के हिसाब से कौन सा रत्न पहने जो हमारे ग्रहों के अनुसार लाभ दे अथवा कोई अतिरिक्त हानि ना दे...

सामान्यतः कोई भी व्यक्ति कई  कारणों से रत्न पहनता है


📍 शौकिया रत्न धारण करना आफत को बुलाना है :-


जिन लोगों को अपना जन्म विवरण ( birth detail ) नहीं पता होती है वे सामान्यतः या शौकिया तौर पर अपनी नाम राशि के अनुसार  रत्न धारण कर लेते है ........
वहीं कुछ लोग बिना सोच विचार किये अपनी  जन्म कुंडली की चंद्र राशि के स्वामी ग्रह का रत्न धारण कर लेते है .....

अथवा रत्न बेचने वाले कैसे भी उनका  mind wash करके , सपने दिखाकर उन्हें बिना आवश्यकता के कोई न कोई रत्न पहना ही देते है  अब चाहे वह रत्न उनमे  लिए कितना भी नुकसानदेह  क्यों न हो...

ये आपको बता दें कि बिना जन्म कुंडली विश्लेषण के या ये जाने बिना कि कौनसा रत्न और कब कितने समय के लिए पहनना आपके लिए अभी आवश्यक तथा लाभदायक है..

रत्न धारण करना आपके लिए नुकसान देह ही नहीं  बहुत घातक भी हो सकता है ....
आप जिन सपनो को पूरा करने के लिए रत्न धारण कर रहे हैं 

वे सपने पूरा होना तो अलग बात है  आप कई कई शारीरिक और मानसिक परेशानियों के शिकार भी हो सकते है ...

अतः सावधान रहें बिना किसी अच्छे ज्योतिषी से सलाह लिए बिना कम से कम रत्न तो कभी भी धारण न ही  करें ...


📍 बिना जांचे किसी के भी कहने से दशा अन्तर्दशा वाले ग्रह का रत्न ना पहने ये तकलीफदेह हो सकता है :-


  सामान्यतः कुछ वर्ग में ये धारणा व्याप्त है कि रत्न पहनने से ग्रह अपने सभी अशुभ परिणाम त्याग कर शुभ फलदाई हो जाते है .........

अतः कई ज्योतिषगण बिना जन्म कुंडली विश्लेषण के सीधे दशा अंतरदशा नाथ ग्रहों के स्वामियों के रत्न धारण करा देते है ......

उनके ये विचार है कि रत्न धारण करने से  दशा अंतरदशा नाथ ग्रह अपने शुभ प्रभावों में वृद्धि करते है तथा अशुभ प्रभावों को त्याग देते है .......

सावधान रहें इस प्रकार की सोच और मानसिकता तथा अध कचरे ज्ञान से.

कोई  भी रत्न कभी भी किसी  ग्रह के अशुभ परिणामो को शुभ  नहीं कर सकता है ....

👹👹   रत्न ग्रह के प्रभावों में वृद्धि करते है उन्हें कभी भी  बदलते नहीं है .......!!!


यदि कोई ग्रह जन्म कुंडली में अशुभ परिणाम देने को बाध्य है तो वह अशुभ परिणाम ही देगा ऐसे में उसका रत्न धारण करना  उसके प्रभावों में अतिरिक्त वृद्धि कर आपके जीवन को खतरे में डाल सकता है और कई कई अतिरिक्त समस्याओ को जन्म दे सकता है .....



📍 सावधान त्रिकोण केंद्र के स्वामी हमेशा  
       शुभफलदायी नहीं होते:-


   वे जातक जो स्वयं थोड़ा बहुत ज्योतिष जानते है और बिना सोच विचार किये या बिना ये जाने की ये ग्रह क्या परिणाम देगा त्रिकोण में बैठे ग्रहों या  त्रिकोण भाव के स्वामी ग्रहों के रत्न धारण कर लेते है ...

अथवा कोई न कोई रत्न सलाकार उन्हें सभी समस्याओं के समाधान के रूप में त्रिकोणेशों के रत्न पहनने की सलाह देते है .......

अधिकांश ज्योतिष के जानकारों में ये धारणा है कि त्रिकोण भाव के स्वामी ग्रह  सभी समस्याओं का समाधान कर सकते है यदि इनके रत्न धारण कर इनको बल दिया गया तो वे  जातक को नौकरी , आय , विवाह , प्रमोशन , उन्नति , सम्पत्ति , सभी लाभ आदि सभी सुख देते है ........!!

लेकिन वास्तव में  हमेशा ऐसा नहीं होता कि त्रिकोणेश अथवा त्रिकोण भाव में बैठे सभी ग्रह जीवन के सभी क्षेत्रों में हमेशा शुभ  परिणाम ही देते है .....

त्रिकोण भाव या वहां बैठे ग्रह समय विशेष में पद हानि , स्वास्थ्य हानि , व्यवसाय में घाटा , नौकरी छूटना , सम्बन्धों में तनाव तथा सम्बन्धों में  ब्रेकअप भी करा सकते है ..

विवाह , सम्पत्ति , लाभ , प्रमोशन इनकी प्राप्ति में त्रिकोण भाव (1 5 9) तटस्थ भाव (neutral house)  होते है जो नकारात्म प्रभवों में हानि प्रद , घातक और बर्बादी भी दे सकते है ..

  आइये इस इस अवधारणा पर विचार करते हैं . शुभ ग्रह क्या होते है तथा उनकी विशेषताएँ क्या है


⭕ कुंडली के हिसाब से कौन सा रत्न पहने तथा शुभ ग्रह कौनसे होते है ..

👉 आज आप विवाह करना चाहते है और  आपका विवाह नहीं हो रहा तो वह ग्रह आपके लिए शुभ हुआ जो आपका विवाह करा दे ...


👉 आज आप नौकरी पाना चाहते है या सरकारी नौकरी चाहते है तो आपके लिए शुभ ग्रह वह हुआ जो आपको नौकरी दिला दे ....


👉 आप मकान बनाने चाहते है  तो शुभ ग्रह निश्चित ही वही होगा जो सम्पत्ति का लाभ कराये ...


👉 आप अपनी प्रॉपर्टी बेचना चाहते है तो शुभ ग्रह आपकी सम्पत्ति बिक़वाने वाला ग्रह हुआ .....


👉 आप मुकदमे में विजय चाहते है , प्रतियोगी परीक्षा में सफलता चाहते है ..


तो शुभ ग्रह वह हुआ आपकी उस तात्कालिक आवश्यकता को पूरा कर सके आपके अपेक्षित  आवश्यक कार्य कराने में सक्षम हो..

और वह ग्रह  जो आपकी आवश्यक्ता की पूर्ति करे वह  ग्रह कोई भी हो सकता है .....
वह त्रिकोण भाव के स्वामी भी हो सकता है और नहीं भी .....!!
वे ग्रह त्रिक  ( 6  8  12 ) भाव के स्वामी भी या जन्म कुंडली के किसी भी भाव के स्वामी ग्रह अथवा किसी भी भाव मे बैठा कोई भी ग्रह हो सकते है .........


  ⭕ सही और आवश्यक रत्न का चुनाव तथा  रत्न निर्धारण का आधार :-


यदि आप  रत्न धारण करने जा रहे है तो ये अवश्य समझ लें कि  रत्न आपको उस ग्रह का पहनना है जो आपके कार्य को कराने में मदद करे  वह भी बिना किसी  हानि के..

📍 नौकरी / व्यवसाय में लाभ के लिए :-

नौकरी , व्यवसाय में लाभ , आमदनी के भाव कुंडली में 2 6 10 11 भाव होते है जो ग्रह आपकी कुंडली में  शुद्ध रुप से इन भावों को प्रदर्शित करें निश्चित ही वह ग्रह अपने समय मे आपको लाभ देगा
अतः निर्विवाद रूप से आप उसे पहन सकते है ...

📍 विवाह तथा वैवाहिक जीवन में लाभ के लिए :-

जन्म कुंडली के 2 7 11 भाव विवाह के भाव है यहां द्वितीय भाव परिवार का सप्तम विवाह का तथा एकादश वृद्धि तथा प्राप्ति को बताता है अतः कुटुम्ब में वृद्धि , विवाह की इच्छापूर्ति के लिए उन ग्रहों का रत्न पहनने जो 2 7 11 भावों को शुद्ध रूप से प्रदर्शित करते हों ..

📍 सन्तान प्राप्ति के लिए सन्तान भाव से लाभ दिलाने वाले ग्रह शुभ हुआ

📍सम्पत्ति प्राप्ति के लिए सम्पत्ति का लाभ कराने वाले ग्रह शुभ हुआ

📍 विदेश यात्रा के लिए विदेश यात्रा कराने  वाले ग्रह..



⭕  रत्न धारण करने के आवश्यक नियम :-


👉  (1)रत्न सिर्फ उस समय ही पहने जब वह ग्रह जिसका रत्न धारण कर रहे है वह दशा  अंतरदशा में हो ......!!

👉  (2) रत्न धारण करते समय ये जान ले जो रत्न आप धारण कर रखे है वह उस समय आपकी पहले दर्जे की आवश्यकता की पूर्ति करता हो ...

जैसे नौकरी , प्रमोशन,  विवाह या सन्तान जो चाहत है वह देने में सक्षम हो....

👉  (3) जिसका  रत्न पहन रहे है वह उस समय विशेष में  कोई ऐसी हानि न करे जो आप न चाहते हो ....

  बस अब वह ग्रह चाहे अस्त हो नीच हो वक्री हो , 6 8 12 भावों में हो या 6 8 12  भाव का स्वामी  हो 

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता ....

💞  उसने आपको फायदा दिया या देगा , वह ग्रह आपके आवश्यक कार्य कराएगा अतः वह शुभ हुआ ..

किसी भी लग्न कुंडली में कोई भी ग्रह आपके आवश्यक कार्य करा  सकता है ..
वह ग्रह आपकी कुंडली में कौनसा होगा ये बहुत ही सूक्ष्म विश्लेषण से ही जाना जाता है ..

  ये कह देना मात्र कि त्रिकोणेशों के परिणाम निर्विवाद रूप से शुभ होते है  बिल्कुल भी व्यवहारिक नहीं होता....

जन्म कुंडली मे जो भाव / भावेश जीवन के  जिस क्षेत्र पर अधिकार रखते  है वहीं भाव / भावेश अथवा उन भावों / भावेशों का सयोंग और सम्बन्ध  ही  आपके उस कार्य को करा सकता  है .....

और   कोई    कभी   नहीं.  ......

🌎  भारतीय ज्योतिष को हमें आज के परिवेश और परिपेक्ष्य में समझना तथा इसका उपयोग और प्रयोग करना होगा
 
तभी हम जीवन के  किसी भी विषय पर सटीक भविष्यकथन कर सकेंगे तथा ज्योतिष का व्यवहारिक उपयोग कर पाएंगे .....

🙏🙏


 🦋 Aacharya Upendra Shekhar Bhatt                     whatsapp no :- 9414204610


("Works at  advanced  &  practical Astrology")

{हिन्दू वैदिक ज्योतिष ,नाड़ी ज्योतिष , जैमिनी ज्योतिष  ताजिक पद्धति }

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