योगकारक ग्रह (योगकारक राजयोग) yogkarak rajyog
👉 योगकारक ग्रह वे ग्रह है जो अपने समय में हमें लाभ दें अथवा हमारे अपेक्षित कार्य कराते है ..
👉 योगकारक ग्रह किसी लग्न विशेष के मोहताज नहीं होते ..
👉 कोई भी ग्रह किसी भी लग्न में योगकारक हो सकता है तथा शुभ परिणाम दे सकता है ..
⭕ योगकारक ग्रह किसे मानें (योगकारक राजयोग)
हमारे चारों ओर कुंडली में योगकारक ग्रह को लेकर ये भ्रांति पूर्ण धारणा व्याप्त है कि किसी लग्न विशेष में ही कुछ ग्रह विशेष शुभ परिणाम देते है या योगकारक होते है वहीं कुछ लग्नों में कुछ विशेष ग्रह अशुभ परिणाम अथवा कष्टकारी फल देते है ...
योगकारक ग्रह को लेकर ये भी मान्यता है कि किसी लग्न विशेष में केंद्र तथा त्रिकोण भाव के स्वामी शुभ फलदाई होते है जिसमे कोई ग्रह यदि केंद्र तथा त्रिकोण भाव का सम्मिलित अधिपति है तो वह शुभ फल देगा अतः वह उस लग्न में योगकारक ग्रह हुआ..
जैसे शनि की लग्नों (मकर , कुम्भ)में शुक्र
तथा शुक्र की लग्नों (वृष , तुला) में शनि
कर्क तथा सिंह लग्न में मंगल .
वहीं कुछ लग्नों में किसी विशेष भाव/ भावेश अथवा ग्रह के परिणाम अशुभ , कष्टकारी तथा समस्याएं देने वाले होते है ..
जैसे शुक्र की लग्नों( वृष , तुला) में गुरु या गुरु की
लग्नों ( धनु , मींन) में शुक्र
या कर्क तथा सिंह लग्न में शनि या शनि की लग्नों (मकर , कुम्भ) में सूर्य अथवा चन्द्रमा ..
लेकिन जब हम व्यवहारिक रूप से इस सिद्धान्त को देखते है तब सच हमें दूर दूर तक नहीं दिखता ..
👉 शुक्र की लग्नो में शनि को शनि की लग्नों में शुक्र को या कर्क , सिंह लग्न में मंगल को अशुभ , कष्टकारी , समस्याप्रद , परिणाम देते देखा है ..
🎈 वहीं गुरु की लग्न में शुक्र को या कर्क लग्न में शनि को भी शुभ फल देते भी देखते है ..
फिर अब किसे योगकारक ग्रह मानें ...??
क्या योगकारक ग्रह का निर्धारण लग्न विशेष से अथवा भाव/ भावेश विशेष के आधार पर कर सकते है ..??
चलिये अब समझते है...
👉 योगकारक ग्रह का निर्धारण कैसे करें..?
⭕ योगकारक ग्रह ( योगकारक राजयोग)
बहुत ही सरल सा जबाब है योगकारक ग्रह हमारी कुंडली में वे ग्रह होते है जो अपने समय में
( जब वे avtive होते है , अपनी दशा अंतरदशा में या समान संयोग वाले अन्य किसी भी ग्रह की दशा अंतरदशा में)
हमें लाभ दें अथवा हमारे अपेक्षित कार्य कराएं..
जैसे किसी व्यक्ति की चाहत है विवाह करना या सन्तान प्राप्ति अथवा सरकारी नौकरी प्राप्त करना..
अब उस व्यक्ति के लिए योगकारक ग्रह वह है जो अपने समय में उसका विवाह करादे , या सन्तान सुख दे अथवा सरकारी नौकरी दिलाये...
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⭕ कुंडली में योगकारक ग्रहों का निर्धारण :-
अब प्रश्न है कि कैसे पता करें कि मेरी कुंडली में योगकारक ग्रह कौनसे है ....?
हमारे जीवन में शुभ तथा अशुभ घटनाओं का निर्धारण जन्म कुंडली के अलग अलग भाव करते है ..
जब उन भावों का सम्बन्ध कुंडली के प्राप्ति के भावों से होता है तो हमें उन भावों से हमें लाभ मिलते है, सुख मिलता है तथा जब वे भाव त्रिक भावों के साथ साथ अशुभ ग्रहों के संयोग दशा आंतर्दशा में दोहराए जाते है तब उन भावों से सम्बंधित हमारे जीवन में कठिनाइयां आती है , हानि होती है ..
📍 नौकरी/व्यपार में योगकारक ग्रह
नौकरी में छटा भाव तथा व्यापार में सप्तम तथा द्वादश भाव से सम्बंधित ग्रह योगकारक ग्रह होते है
जब छटा भाव एकादश भाव के साथ दशा आंतर्दशा में आता है तो हमारी नौकरी लगती है .
सप्तम भाव दैनिक आय का तथा 12th house व्यापार में इन्वेस्टमेंट को बताएगा.
📍 विवाह में योगकारक ग्रह
विवाह तथा वैवाहिक सुख में 7th house मुख्य भूमिका में तथा 5th सहयोगी होता है.
जब सप्तम भाव एकादश के साथ दशा अन्तर्दशामें आता है तो विवाह होता है ..
पंचम भाव यहां वैवाहिक सुख में सहायक भाव है
📍 जब अष्टम भाव एकादश के साथ आता है तो हमें पुश्तेनी जायदाद मिलती है
📍 जब द्वादश भाव एकादश के साथ आता है तो हमारा विलासिता का स्तर बढ़ता है..
⭕ योगकारक ग्रह के परिणाम
अब योगकारक ग्रह के परिणाम हमारी आवश्यकता की पूर्ति करना होता है ..
सभी लोगों की आवश्यकताएं अलग अलग है कार्य होने की अभिलाषाएं अलग है तो कुंडली में योगकारक ग्रह भी अलग अलग होंगे...
ज्योतिष शास्त्र का सर्वोत्तम व्यवहारिक उपयोग यही है कि हम आज ..! आने वाले कल के लिए जीवन का बेहतरीन प्रबन्धन (management) कर सकें ..........!!!
Aacharya Upendra Shekhar Bhatt
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"Works at advanced & practical Astrology"
{हिन्दू वैदिक ज्योतिष , जैमिनी ज्योतिष , नाड़ी ज्योतिष और ताजिक system ( वर्षफल पद्धति )
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