कलानिधि योग | kalanidhi yoga | kalanidhi yoga in astrology
कुंडली में कलानिधि योग (kalanidhi yoga) जातक को गुणवान , भोगी तथा सुखी बनाता है ।
कलानिधि योग निर्माण (परिभाषा) :-
महर्षि पराशर के अनुसार :-
"द्वितीये पंचमे जीवे बुधशुकरयुतेक्षिते ।
क्षेत्रे तयोर्वा सम्प्राप्ते योगः स्यात्स कालनिधिः" ।।
किसी भी लग्न की कुंडली में ( सभी लग्नो में ) गुरु द्वितीय भाव (2nd house) या पंचम भाव (5th house) में शुक्र तथा बुध के साथ किसी भी राशि में स्थित (युति करे) हो ।
अथवा गुरु द्वितीय या पंचम भाव में वृष , मिथुन , कन्या या तुला राशि में स्थित हो तथा बुध शुक्र से दृष्ट (दृष्टि) हो तो कुंडली मे कलानिधि योग का निर्माण होता है ।
कालनिधि योग के फल :-
महर्षि पराशर के अनुसार :-
कलानिधि योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति सद्गुणी ,विलासितापूर्ण जीवन यापन करने वाला ,सभी सुखों से युक्त , लक्ष्मीवान , निरोगी , बलवान , विद्यावान ,राजाओं द्वारा सम्मानित तथा सभी प्रकार की सवारियों का स्वामी होता है
निष्कर्ष (मेरा दृष्टिकोण) :-
(My point of view)
क्लानिधि योग के अंतर्गत पंचम भाव में बनी गुरु ,शुक्र , बुध की युति पंचम भाव को शुभता तो देती ही है साथ ही एकादश भाव पर सीधी दृष्टि तथा नवम भाव पर गुरु की दृष्टि व्यक्ति को सद्गुणी , लक्ष्मीवान , निरोगी , विद्यावान बनाएगी साथ ही व्यक्ति को भोगी भी बनाएगी..
गुरु ,बुध , शुक्र के अल्पबली या अशुभ भावों के प्रभाव ना हो तो निश्चित ही कुंडली में कलानिधि योग उत्तम राजयोग होगा ।
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("Works at advanced & practical Astrology")
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