मंगलवार, 4 मई 2021

मारकेश दशा , कब मारक बनती है , सटीक विश्लेषण

 
मारकेश योग (Markesh yog) सटीक विश्लेशण

मारकेश दशा  (Markesh dasha) तथा मारक भाव सटीक विश्लेशण :-



 मारकेश  को लेकर आज के समय में सच्चाई से कहीं अधिक भ्रांतियां , डर , भ्रमित करने वाली बातें बताई जाती है ।

समझने वाली बात है जो भाव जीवन में अधिकांश क्षेत्रो से सुख एकत्रित करते है वे भाव हमेशा मारकेश योग( markesh yog) कैसे बना सकते है ...

☺️☺️

आइये विस्तार से समझते है मारक भाव कौनसे होते है , कब उनका फल मारकेश योग के रूप में मिलता है तथा कैसे वे मारक की भूमिका निभाते है ।



  ⭕ मारक भाव :-


जन्म कुंडली का अष्टम भाव आयु का भाव है अष्टम से अष्टम भाव यानी तृतीय भाव (भवात भावम नियम के अनुसार) भी आयु निर्धारण में भूमिका निभाता है ..

 अष्टम से द्वादश भाव(12th house) होने के कारण सप्तम भाव तथा तृतीय से द्वादश होने के कारण  2nd house आयु की क्षति को बताते है ..

अतः ज्योतिष शास्त्र में द्वितीय तथा सप्तम भाव मारक भाव माने जाते है । तथा इन भावों में बैठे ग्रह भी मारक की भूमिका समय विशेष में निभा सकते है ।

जिसमे सप्तम भाव प्रबल मारक तथा सप्तम भाव में बैठे सभी ग्रह प्रबल मारकेश की भूमिका में हो सकते है...



⭕ द्वितीय तथा सप्तम भाव का महत्त्व :-


लेकिन क्या द्वितीय भाव तथा सप्तम भाव हमेशा मारकेश योग (markesh yog) बनाते है ..

नहीं बिल्कुल भी नहीं , कभी नहीं ..!!


📍 द्वितीय भाव का महत्त्व:-


जन्म कुंडली का द्वितीय भाव हमारे जीवन मे बहुत बड़े क्षेत्र में भूमिका निभाता है ।

द्वितीय भाव कुंडली का संचित भाव है , ये एकत्रित धन , बचत , भाषण कला , लाभ, वाणी,  कुटुम्ब , परिवार ,  भोग विलास , ज्ञान में  वृद्धि तथा अनुभव से प्राप्त ज्ञान को बताता है ..


👉 सन्तान भाव से सम्बंधित होकर 2nd house सन्तान प्राप्ति के योग में नए मेहमान के आगमन से परिवार में बढ़ोत्तरी को बताता है..

👉 विवाह के भाव (7th house) से सम्बंधित होकर द्वितीय भाव  परिवार में वैवाहिक सुख के रूप में एक सदस्य की वृद्धि को बताता है ..

👉 शिक्षा के भावों से सम्बंधित होकर उच्च शिक्षा तथा शिक्षा में प्राप्ति तथा लाभ को बताता है ..

👉धन के संयोगों के साथ एकत्रित धन ,बैंक बैलेंस को को बताता है..

👉 अष्टम भाव से सम्बंधित होकर पुश्तेनी धन , स्वर्ण , सपत्ति , दहेज में मिले धन  को बताता है

👉 धर्म भाव से सम्बंधित होकर द्वितीय भाव धार्मिक ज्ञान , सद्गुण , उच्च अनुभूतियों (प्रेम , दया , करुणा) को बताता है ..



📍 सप्तम भाव का महत्त्व:-


सप्तम भाव सीधे रूप से व्यक्ति के विवाह का भाव है 

👉 ये जातक के विवाह , दाम्पत्य सुख , दैनिक आय , व्यापार , पार्टनरशिप , कामशक्ति , द्वितीय पुत्र योग , विदेश , व्यक्ति के सौंदर्य  को बताता है ..


अब हमारे जीवन के इतने महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले भाव अपनी दशा आंतर्दशा में हमेशा मारकेश योग ही कैसे बना सकते है ..

अब प्रश्न ये है कि द्वितीय तथा सप्तम भाव तथा यहाँ बैठे कब मारकेश योग बनाते है ..?




⭕कुंडली में मारकेश योग (markesh yog) कब बनता है :-


मारकेश योग का अर्थ या मतलब हुआ मारने वाला या मृत्यु तुल्य कष्ट देने वाला ..


 द्वियीय तथा सप्तम भाव मारकेश योग की भूमिका में सिर्फ तभी होते है जब व्यक्ति की आयु पूर्ण हो चुकी होती है तथा उसकी मृत्यु का समय निश्चित  होता है ।

 ये समय 70 वर्ष की आयु में आ सकता है या 90 वर्ष की आयु में भी अथवा अल्पायु होने पर युवावस्था में भी ..

अतः मारकेश योग में 2nd तथा 7th house की भूमिका देखने से पहले हमें व्यक्ति की आयु देखनी होगी ..

आयु निर्धारण सभी सात ग्रह मिलकर निर्धारित करते है जब आयु पूर्ण हो चुकी होगी तब मृत्यु देने की भूमिका मारक भाव की होगी 

उस समय मारक भाव तथा यहां बैठे ग्रह जब भी  दशा आंतर्दशा में आएंगे तथा उपर्युक्त गोचर बनेगा जातक ही मृत्यु निश्चित होगी ...

लेकिन आयु पूर्ण होने से पहले कभी भी मारक भाव मृत्यु नहीं दे सकते ..



⭕ मारकेश योग कब मृत्यु तुल्य कष्ट देता है :-


 बहुत ही आसान सा जबाब होगा यदि हम ये समझ पाए कि मृत्युतुल्य कष्ट किसे कहते ..?

यदि मारकेश योग (markesh yog ) में मृत्यु तुल्य कष्ट यदि शारीरिक रूप से दुर्घटना , बीमारी , अंगभंग , से है तो में सप्तम भाव भूमिका निभाता है लेकिन सिर्फ तभी जब समय विशेष में कुंडली में  दुर्घटना, बीमारी अंगभंग के योग हों ।

बीमारी के लिए छटा भाव , दुर्घटना में क्षति के लिए अष्टम भाव तथा अंग भंग में 6 8 12 तथा 4th house दशा आंतर्दशा में  त्रिक भावों तथा अशुभ ग्रहों के साथ दशा आंतर्दशा में दोहराया जाता है।

अब यदि मारकेश योग (markesh yog) में मृत्यु तुल्य कष्ट का सम्बन्ध धन , परिवार , मानसिक पीढ़ा से है तो द्वितीय भाव भूमिका में होगा लेकिन सिर्फ और सिर्फ तभी जब त्रिक भाव (6 8 12) + अशुभ ग्रह साथ में एक्टिव होंगे..



⭕ निष्कर्ष (मेरा विचार) :-

 (My Opinion)


कुंडली में मारकेश योग (markesh yog) बहुत ही विशेष समय में विशेष संयोगों में ही बनता है । सिर्फ द्वितीय तथा सप्तम भाव का दशा आंतर्दशा में आना मारकेश योग (markesh yog)नहीं बनाता ।

द्वितीय तथा सप्तम भाव हमारे जीवन में बहुत सारी शुभ घटनाओं (कार्यों) का भी प्रतिनिधित्व करते है ..

अतः सकारात्मक रहें ..

☺️☺️


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                   Aacharya Upendra Shekhar Bhatt
                        
                           Whatsapp No ::--  9414204610


Works at advanced & scientific Astrology
{हिन्दू वैदिक ज्योतिष , जैमिनी ज्योतिष , नाड़ी ज्योतिष और ताजिक system  ( वर्षफल पद्धति) }


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