सरस्वती योग (saraswati yog)
कुंडली में सरस्वती योग का निर्माण तथा सरस्वती योग के फल ,
सरस्वती योग ज्योतिष में शिक्षा तथा उच्च शिक्षा से सम्बंधित योग माना गया है ।
कुंडली में सरस्वती योग का निर्माण :-
जब कुंडली में गुरु , शुक्र तथा बुध सम्मिलित रूप से अथवा अलग अलग कुंडली में लग्न से प्रथम , द्वितीय , चतुर्थ , पंचम , सप्तम , नवम , तथा दशम भाव ( 1 2 4 5 7 9 10) में हों तथा गुरु अपनी मित्र राशि , स्व राशि या उच्च राशि में स्थित हो तो जन्म कुंडली में सरस्वती योग का निर्माण होता है ।
सरस्वती योग के फल :-
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में सरस्वती योग हो तो व्यक्ति बहुत बुद्धिमान , नाट्य शास्त्र में निपुण , काव्य रचना ,गणित में महान विद्वान , प्रबन्ध तथा शास्त्रार्थ में पारंगत होता है तथा चारों ओर उसकी प्रसिद्धि तथा कीर्ति होती है ।
व्यक्ति धनी होता है व्यक्ति पत्नी सुख तथा पुत्र सुख से युक्त होता है ।
ऐसा व्यक्ति राजाओं द्वारा सम्मानित किया जाता है तथा भाग्यशाली होता है
निष्कर्ष :+-
(My point of view )
जन्म कुंडली के 2 4 5 9 भाव शिक्षा , उच्च शिक्षा तथा सन्तान सुख के भाव है । 2 7 भाव वैवाहिक जीवन का होता है
इन भावों में शुभ ग्रहों का संयोग इन सभी भावों से प्राप्त सुख में वृद्धि करता है ..
यदि इन भावों के संयोग अशुभ ग्रहों के साथ साथ त्रिक भाव से हों तो सरस्वती योग के प्रभाव क्षीण हो जाते है ।
Aacharya Upendra Shekhar Bhatt
Whatsapp No ::-- 9414204610
"Works at advanced & practical Astrology"
{हिन्दू वैदिक ज्योतिष , जैमिनी ज्योतिष , नाड़ी ज्योतिष और ताजिक system ( वर्षफल पद्धति )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Please do not enter any spam link in tha comment box.